दिल्ली कार ब्लास्ट जांच: एजेंसियों को डिजिटल हवाला के सुराग,
जैश-ए-मोहम्मद फिदायीन दस्ते की फंडिंग का खुलासा
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हालिया कार ब्लास्ट की जांच तेज़ी से चल रही है। मामले में कई संदिग्ध गिरफ्तार किए जा चुके हैं और जांच एजेंसियों को महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भारत के खिलाफ ‘फिदायीन दस्ता’ तैयार करने की फिराक में है और इसके लिए फंडिंग हो रही है। जांच में डिजिटल हवाला और ई-वॉलेट के जरिए पैसे भेजने के सबूत मिले हैं। एजेंसियां इस नेटवर्क और जुड़े लोगों की गहनता से तफ्तीश कर रही हैं ताकि भविष्य में ऐसे हमलों की तैयारी को रोका जा सके।
एजेंसियों को मिले बड़े सुराग
जांच में जुटी केंद्रीय एजेंसियों ने कार ब्लास्ट से जुड़े कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। पूछताछ और तकनीकी जांच के बाद जांचकर्ताओं को ऐसे संकेत मिले हैं जो विदेशी फाइनेंशिंग और डिजिटल पैसों के लेन-देन की ओर इशारा करते हैं। सूत्रों के अनुसार डिजिटल हवाला के ठहराये गए ट्रेस ने एजेंसियों को उन चैनलों तक पहुंचाया है जिनके जरिए धन आतंकियों तक भेजा जा रहा था।
पैसों के स्रोत और ई-वॉलेट का इस्तेमाल
सूत्र बताते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद ने डिजिटल तरीके अपनाकर फंडिंग को आसान बनाया है। पाकिस्तान के कुछ डिजिटल एप और ई-वॉलेट सर्विसेज के माध्यम से दान इकट्ठा किए जा रहे थे। कहा जा रहा है कि इन सेवाओं का इस्तेमाल करके पैसों को छोटे-छोटे हिस्सों में भेजा जाता और फिर ऑन-ग्राउंड ग्रुप्स तक पहुँचाया जाता था। एजेंसियां इन ट्रांजैक्शनों का लेखा-जोखा निकाल रही हैं।
संगठन और उसके सरगना का नाम
जांच में यह भी सामने आया है कि जिन समूहों का पता चला है, वे जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों से जुड़े हो सकते हैं। सार्वजनिक जानकारी के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर है, जिसे कई देशों में आतंकी गतिविधियों से जोड़ा गया है। अधिकारियों ने कहा है कि ऑपरेशन-सिंदूर जैसे अभियानों में भी जैश के ठिकानों पर कार्रवाई हुई थी।
अब क्या होगा — एजेंसियों की आगे की योजना
अगला कदम है डिजिटल फंडिंग नेटवर्क के हर कड़ी की तह तक जाना और जिन व्यक्तियों या महिलाओं का इस नेटवर्क से संबंध दिख रहा है, उनकी पहचान कर कानूनी कार्रवाई करना। साथ ही सीमा पार स्रोतों की पहचान कर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए रोकथाम की कोशिशें तेज की जाएँगी। अधिकारियों का मानना है कि तकनीकी और अंतर-एजेंसी सहयोग से ऐसे वित्तीय चैनलों को बंद किया जा सकता है।