50 लाख की फीस का विवाद: धीरेंद्र शास्त्री बोले- अखिलेश बनें यजमान,
एक रुपया नहीं लूंगा, टेंट-साउंड भी साथ लाऊंगा
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की सियासत और धार्मिक जगत में इन दिनों बागेश्वर धाम सरकार यानी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान चर्चा में हैं। मामला तब शुरू हुआ जब अखिलेश यादव ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री कथा सुनाने के लिए 50 लाख रुपये फीस लेते हैं। उन्होंने तंज कसा कि आम आदमी की इतनी हैसियत नहीं कि वह उनसे कथा करा सके। अब धीरेंद्र शास्त्री ने इस पर खुलकर जवाब दिया है और कहा है कि अगर अखिलेश यादव खुद यजमान बनें तो वह उन्हें बिल्कुल मुफ्त कथा सुनाएंगे।
यजमान बनेंगे तो एक रुपया भी नहीं लूंगा
इंडिया टीवी के कार्यक्रम आप की अदालत में धीरेंद्र शास्त्री से यह सवाल पूछा गया। जवाब में उन्होंने कहा कि हां, हम दक्षिणा लेते हैं लेकिन जितनी अखिलेश यादव ने बताई उतनी कभी नहीं ली। अगर उनकी श्रद्धा जगे तो हम उनके गांव जाकर कथा करेंगे। टेंट भी अपना लाएंगे, साउंड भी लाएंगे, बस यजमान उन्हें ही बनना होगा। दक्षिणा का एक रुपया भी नहीं लेंगे और कथा सुनाकर लौट आएंगे।
हमारे पिता मुख्यमंत्री तो थे नहीं
धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि दक्षिणा लेना उनकी मजबूरी है। उन्होंने कहा, पहला, हमारे यहां कैंसर हॉस्पिटल की जरूरत है। क्षेत्र पिछड़ा है और धर्मांतरण की समस्या है। हम चाहते हैं कि जीते जी वहां मंदिर नहीं बल्कि अस्पताल बनवाएं। दूसरा, अन्नपूर्णा भंडार चलाना है। देखिए, हमारे पिता जी मुख्यमंत्री तो थे नहीं कि सरकारी व्यवस्था से काम चलता। श्रद्धा से कोई देता है तो मना भी नहीं करते। लेकिन अगर कोई व्यक्ति हमारे दोनों सपनों कैंसर हॉस्पिटल और अन्नपूर्णा भंडार की जिम्मेदारी ले ले तो हम जिंदगी भर उससे एक रुपया भी नहीं लेंगे। ये बात हम हनुमान जी की कसम खाकर कह रहे हैं।
दूध का धुला कोई नहीं
धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि उनकी कथा या प्रवचन धन कमाने के लिए नहीं हैं। कोई देता है तो उसका सदुपयोग भंडारे, बेटियों के विवाह और अस्पताल में होता है। इस देश में नाचने वाले करोड़ों लेते हैं, नेता वेतन और घूस दोनों लेते हैं। तो क्या बुराई है अगर दक्षिणा लेकर अच्छे काम हों दूध का धुला कोई नहीं है, लेकिन यदि दक्षिणा से समाज का भला हो तो यह कार्य हर किसी को करना चाहिए।