कोडीन कफ सिरप तस्करी का बड़ा रैकेट… बच्चों की मौत के बाद ED ने खोला पूरा नेटवर्क,
कई राज्यों में जांच तेज
5 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: कोडीनयुक्त नशीले कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के बाद अब पूरा मामला बड़े ड्रग रैकेट में बदलता दिख रहा है। इस घातक सिरप की अवैध सप्लाई और करोड़ों की कमाई की परतें सामने आने लगी हैं। इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज कर व्यापक जांच शुरू कर दी है। मामला सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक इसका नेटवर्क फैला हुआ पाया गया है। ED कई अधिकारियों, फर्जी फर्मों और निर्माता कंपनियों की भूमिका को खंगाल रही है।
केस दर्ज होते ही बढ़ा जांच का दायरा कई बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई जांच में पता चला कि कोडीन आधारित सिरप का पूरा रैकेट फर्जी फर्मों और तस्करी नेटवर्क के सहारे चल रहा था। ED ने केस दर्ज करते ही यूपी FSDA से अब तक की कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट और दस्तावेज मांगे हैं। माना जा रहा है कि यह नेटवर्क अरबों रुपये का था और सिरप नेपाल व बांग्लादेश तक भेजा जाता था।
तस्करी में FSDA अधिकारियों और कंपनियों की मिलीभगत सूत्रों का दावा है कि इस रैकेट में कुछ निर्माता कंपनियां और यूपी के FSDA अधिकारी भी शामिल थे। आरोप है कि उन्होंने न केवल कार्रवाई नहीं की, बल्कि सीधे तौर पर इस अवैध कारोबार को बढ़ावा दिया। फर्जी फर्में बनाकर सिरप की बिलिंग की जाती थी, मगर न उनके पास गोदाम थे और न स्टॉक।
मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल को नोटिस, कई गिरफ़्तार ED ने वाराणसी के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के घर समन चस्पा कर उसे 8 दिसंबर को पूछताछ में शामिल होने का आदेश दिया है। इसके साथ ही जेल में बंद आरोपियों आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से भी पूछताछ की जाएगी। दोनों ने STF को दिए बयान में शुभम और आजमगढ़ के विकास सिंह नरवे का नाम लिया था।
दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भी शक के घेरे में ED की जांच में दो CA तुषार और विष्णु अग्रवाल का नाम सामने आया है। ये दोनों फर्मों के वित्तीय दस्तावेज तैयार करते थे और फर्जी बिलिंग के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग में मदद करते थे। ED जल्द ही इन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाएगी।
अब तक 118 मुकदमे दर्ज, मास्टरमाइंड नरवे फरार इस मामले में कुल 118 FIR दर्ज हुई हैं:
वाराणसी – 38
जौनपुर – 16
कानपुर नगर – 8
गाजीपुर – 6
लखीमपुर – 4
लखनऊ – 3
अन्य जिलों – 43
आजमगढ़ का विकास सिंह उर्फ नरवे अब भी फरार है और सूत्रों के अनुसार वह दुबई भागने की फिराक में है।
कैसे होती थी सिरप की तस्करी तस्करी का तरीका बेहद संगठित था। सिरप सात कंपनियों से खरीदा जाता था (HP, UK, Haryana, Jharkhand)। यूपी के लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर, बहराइच से नेपाल भेजा जाता था। वाराणसी और गाजियाबाद की फर्मों से बांग्लादेश भेजा जाता था। ज्यादातर फर्में केवल बिलिंग के लिए बनाई गई थीं। ED अब सभी कंपनियों के प्रोडक्शन रिकॉर्ड, लाइसेंस और बैंक ट्रांजैक्शन खंगाल रही है।