12,000 साल बाद इथियोपिया का ज्वालामुखी फटा,
राख का बादल भारत पहुंचा; कई शहरों में उड़ानें प्रभावित
1 months ago Written By: Aniket prajapati
उत्तर-पूर्वी इथियोपिया में लगभग 12,000 वर्षों से निष्क्रिय पड़े एक ज्वालामुखी के अचानक फटने से पूरे विश्व में वैज्ञानिकों और आपदा निगरानी एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। इरिट्रिया सीमा से लगे अफ़ार क्षेत्र में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी रविवार को फट पड़ा। इसके बाद लगभग 14 किलोमीटर ऊंचाई तक मोटा राख का बादल आसमान में फैल गया। यही बादल सोमवार रात भारत के उत्तर-पश्चिमी इलाकों तक पहुंच गया, जिससे कई बड़े शहरों में उड़ानों के संचालन पर असर पड़ा। हालांकि विशेषज्ञों ने साफ किया है कि वायु गुणवत्ता पर इसका बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
दिल्ली और उत्तर भारत के कई राज्यों में पहुंचा राख का गुबार सोमवार रात करीब 11 बजे ज्वालामुखी की राख का बादल दिल्ली पहुंचा और धीरे-धीरे गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा की ओर बढ़ गया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, यह बादल अब चीन की तरफ बढ़ रहा है और अनुमान है कि मंगलवार शाम 7:30 बजे (14:00 GMT) तक भारत से पूरी तरह निकल जाएगा।राख के चलते दृश्यता में कमी आई है, जिससे हवाई यातायात प्रभावित हुआ। हालांकि, दिल्ली में वायु गुणवत्ता (AQI) पर इसका सीधा असर नहीं पड़ा है।
AQI क्यों नहीं बिगड़ेगा? IMD ने समझाया कारण IMD के महानिदेशक एम. महापात्रा ने बताया कि ज्वालामुखी की राख “ऊपरी वायुमंडल में मौजूद है, इसलिए जमीन के पास इसकी कोई बड़ी भूमिका नहीं दिखेगी।” उनके मुताबिक, यह बादल धुंध और हलके बादलों जैसा दिखेगा और कुछ घंटों के लिए तापमान में हल्की वृद्धि कर सकता है।महापात्रा ने कहा कि चूंकि राख ऊपरी क्षोभमंडल में है, इसलिए यह वायु गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करेगी, लेकिन हवाई उड़ान संचालन पर असर पड़ेगा।
AQI ‘बहुत खराब’ श्रेणी में, लेकिन वजह राख नहीं दिल्ली का AQI दोपहर 2 बजे तक 356 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह वृद्धि स्थानीय प्रदूषण के कारण है, न कि ज्वालामुखी की राख के कारण।राख के बादल में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और सूक्ष्म कांच के कण होते हैं, जो ऊपरी वायुमंडल में बने रहते हैं। फिलहाल इनके कारण स्वास्थ्य पर तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इस पर नजर बनाए हुए हैं।