आगरा में 200 करोड़ की नकली दवाओं का बड़ा खुलासा, रिश्वत से बचना चाहा लेकिन पकड़े गए गुनहगार,
SIT की जांच शुरू
7 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: राजधानी लखनऊ समेत यूपी के कई जिलों में नकली दवाओं का बड़ा नेटवर्क सामने आया है। औषधि विभाग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे मामले का खुलासा किया। विभाग की अपर आयुक्त रेखा एस. चौहान ने बताया कि पिछले कई दिनों से लगातार छापेमारी चल रही थी, जिसमें अब तक करोड़ों की दवाएं जब्त की गई हैं। यह रैकेट सिर्फ आगरा तक सीमित नहीं था, बल्कि लखनऊ, बरेली, कानपुर, मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ जैसे बड़े शहरों में भी फैला हुआ था।
मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी और करोड़ों की दवाएं सीज
ड्रग विभाग की टीम ने हे मां मेडिकल, बंसल मेडिकल, राधे मेडिकल और एमएसवी मेडिकल के ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें से हे मां मेडिकल से 60 करोड़ और राधे मेडिकल से 10 करोड़ की दवाएं सीज की गईं। विभाग ने बताया कि बंसल मेडिकल और हे मां मेडिकल से 100-100 करोड़ की नकली और अवैध दवाएं बेची जा चुकी हैं। जांच के लिए 24 तरह की दवाओं के सैंपल भी लिए गए हैं।
रिश्वत देने की कोशिश और गिरफ्तारियां
कार्रवाई के दौरान हे मां मेडिकल के संचालक हिमांशु अग्रवाल ने विभागीय टीम को एक करोड़ रुपये रिश्वत देने की कोशिश की। हालांकि, टीम ने यह पेशकश ठुकराते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। अब तक कुल चार एफआईआर दर्ज की गई हैं और चार आरोपियों हिमांशु अग्रवाल, सोहित बंसल, संजय बंसल और मुकेश बंसल को जेल भेजा जा चुका है।
SIT गठित, गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की तैयारी
बता दें कि नकली दवाओं के इस बड़े रैकेट की गहराई से जांच के लिए पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया है। इस SIT में 15 विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। अपर पुलिस आयुक्त आदित्य सिंह को प्रभारी बनाया गया है। टीम में 10 से ज्यादा इंस्पेक्टर और दरोगा भी रहेंगे और आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
कैसे चलता था रैकेट
जांच में पता चला कि यह नेटवर्क फर्जी कंपनियों के सहारे चलता था। पांच डमी फर्म महाराष्ट्र में और तीन आगरा में बनाई गई थीं। नकली दवाएं चेन्नई और पांडिचेरी से लाई जाती थीं और फिर असली कंपनियों के बॉक्स में पैक कर बेची जाती थीं। बिक्री के लिए फर्जी बिल और क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जाता था ताकि दवाओं को असली दिखाया जा सके। पांडिचेरी की वह फैक्ट्री, जहां यह दवाएं बनाई जाती थीं, छापेमारी से पहले ही बंद कर दी गई और मालिक फरार हो गया।
आगे की कार्रवाई
ड्रग विभाग ने बताया कि कई अस्पतालों की केमिस्ट शॉप्स और अन्य मेडिकल स्टोर्स भी अब जांच के घेरे में हैं। फरार फैक्ट्री मालिक की तलाश की जा रही है। विभाग का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद इस रैकेट से जुड़े हर आरोपी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।