गाजियाबाद में मिट्टी से मावा तक का खेल, किसान से रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया SI राजीव कुमार
जानें क्या है मामला
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: गाजियाबाद से बड़ी खबर सामने आई है, जहां एंटी करप्शन टीम ने चौकी इंचार्ज दरोगा राजीव कुमार को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। किसान से ली जा रही इस रिश्वत ने न सिर्फ पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि दरोगा के भ्रष्टाचार के पूरे जाल को भी उजागर कर दिया है। राजीव कुमार पर आरोप है कि वह मिट्टी की खुदाई से लेकर मावा बनाने के अवैध कारोबार तक से वसूली करता था। उसके इस भ्रष्टाचार से परेशान ग्रामीणों ने लंबे समय से शिकायतें की थीं, जो अब सच साबित हो गईं।
ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप
दरअसल, राजीव कुमार मूल रूप से मैनपुरी का रहने वाला है और 1997 में पुलिस में सिपाही भर्ती हुआ था। साल 2017 में प्रमोशन पाकर वह दरोगा बना और करीब दो महीने पहले उसे कलछीना चौकी का चार्ज मिला था। ग्रामीणों का आरोप है कि चौकी इंचार्ज ने अवैध कारोबार करने वालों से मासिक वसूली तय कर रखी थी। पैसे न देने वालों को वह जेल भेजने की धमकी देता था। यही वजह रही कि जब उसकी गिरफ्तारी की खबर फैली, तो बड़ी संख्या में ग्रामीण थाने पर जमा हो गए।
किसान से रिश्वत लेते पकड़ा गया दरोगा
यह पूरा मामला कलछीना निवासी किसान इनामुल हक के मुकदमे से जुड़ा है। इनामुल पर जमीन के सौदे में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसकी जांच दरोगा राजीव कुमार कर रहा था। इनामुल का आरोप है कि राजीव ने केस में फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए एक लाख रुपये की मांग की थी। तय सौदे के मुताबिक, 50 हजार रुपये पहले और बाकी 25 हजार रुपये बाद में देने की बात हुई। इसी रकम को लेने के दौरान एंटी करप्शन टीम ने राजीव कुमार को धर दबोचा।
एंटी करप्शन टीम की योजना
इनामुल ने पूरी शिकायत भ्रष्टाचार निवारण संगठन, मेरठ इकाई को दी थी। इसके बाद इंस्पेक्टर दुर्गेश कुमार और अर्चना सिंह समेत 19 सदस्यीय टीम बनाई गई। इनामुल को केमिकल लगे नोट देकर कलछीना चौकी भेजा गया। जैसे ही इनामुल ने राजीव कुमार को नोट सौंपे, टीम ने मौके पर ही दरोगा को गिरफ्तार कर लिया और उसे मोदीनगर थाने ले जाया गया।
पहले भी दे चुका था रिश्वत
इनामुल ने यह भी खुलासा किया कि वह पहले के चौकी इंचार्जों को भी रिश्वत दे चुका था। दरोगा धर्मेंद्र सिंह ने उससे 60 हजार रुपये लिए थे, जबकि विनोद कुमार ने 20 हजार रुपये लेकर भी काम नहीं किया। इसके बाद मामला राजीव कुमार के पास आया, जिसने एक लाख रुपये की मांग कर डाली।