ग्रेटर नोएडा में बड़ा हादसा: तीन मंजिला इमारत ढही,
11 मजदूर दबे, 4 की मौत, 7 घायल
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में बुधवार सुबह एक बड़ा और दर्दनाक हादसा हुआ। रबूपुरा थाना क्षेत्र के नगला हुकुम सिंह गांव में तीन मंजिला इमारत का शटरिंग हटाने के दौरान लैंटर अचानक गिर पड़ा। हादसे में नीचे काम कर रहे 11 मजदूर मलबे के नीचे दब गए। पुलिस, एनडीआरएफ और फायर टीम ने रेस्क्यू चलाकर 7 मजदूरों को बाहर निकाला, जबकि 4 मजदूरों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान जीशान, शाकिर, नदीम और कामिल के रूप में हुई है। उनके शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए हैं। हादसे के बाद पूरे गांव और इलाके में हड़कंप मच गया।
तीसरी मंजिल का लैंटर गिरते ही ढह गई पूरी इमारत जानकारी के मुताबिक मजदूर तीसरी मंजिल के लेंटर की शटरिंग हटा रहे थे। इसी दौरान अचानक पूरी संरचना कमजोर हो गई और इमारत भरभरा कर गिर गई। ऊपर की मंजिल गिरते ही नीचे की दोनों मंजिलें भी ध्वस्त हो गईं। सभी 11 मजदूर मलबे के नीचे दब गए। जैसे ही हादसे की खबर फैली, पुलिस, एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं और तेजी से बचाव अभियान शुरू किया।
अवैध निर्माण का आरोप, विधायक बोले- मुख्यमंत्री को भेजेंगे रिपोर्ट हादसे के बाद जेवर विधायक मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटना की जानकारी लेते हुए कहा कि पूरा मामला गंभीर है और इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से भी की जाएगी। यह भी बताया गया कि कई लोग अधिक मुआवजा पाने के लिए यहां अवैध निर्माण करा रहे थे। हालांकि पुलिस ने अभी तक अवैध निर्माण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि प्राधिकरण ने हाल ही में इसी जगह पर अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर चलाया था, फिर भी काम दोबारा शुरू हो गया था। यह किसके निर्देश पर हुआ, इसकी जांच बाकी है।
पहले भी ऐसे हादसे, फिर नहीं रुका अवैध निर्माण ग्रेटर नोएडा में इमारत गिरने की घटनाएं नई नहीं हैं। साल 2018 में शाहबेरी में छह मंजिला इमारत गिरने से कई लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद 200 से ज्यादा अवैध इमारतें चिन्हित कर बंद कर दी गईं, लेकिन इसके बावजूद इलाके में अवैध निर्माण का सिलसिला जारी है। आए दिन ऐसे निर्माणों के वीडियो सामने आते रहते हैं।
परिवारों पर टूटा दुख का पहाड़ इस हादसे में चार मजदूरों की मौत के बाद उनके परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। सभी मजदूर मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रहे थे। अब परिवारों को उम्मीद है कि सरकार या प्राधिकरण उन्हें आर्थिक सहायता जरूर देगा।