न आवाज, न धुआं… जेवर एयरपोर्ट के लिए चलेंगी हाइड्रोजन बसें,
जानें कितनी हाई-टेक होगी ये सर्विस
5 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: यमुना प्राधिकरण ने यात्रियों के लिए एक बड़ी और आधुनिक सुविधा की शुरुआत करने की तैयारी पूरी कर ली है। जल्द ही नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) तक पहुंचने का सफर आसान, लग्जरी और पूरी तरह प्रदूषणमुक्त होने जा रहा है। प्राधिकरण ने साइलेंट और 100 प्रतिशत ग्रीन हाइड्रोजन बसें चलाने की परियोजना को हरी झंडी दे दी है। यह बसें पूरी तरह एसी होंगी और इंटरसिटी मॉडल पर तैयार की गई हैं। इस परियोजना को यमुना प्राधिकरण बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बाद अब जेवर एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी को वर्ल्ड-क्लास स्तर पर ले जाने की तैयारी शुरू हो गई है।
लग्जरी हाइड्रोजन बसें होंगी पूरी तरह प्रदूषणमुक्त यमुना प्राधिकरण की योजना के अनुसार, हाइड्रोजन बसें यात्रियों को एक बेहद आरामदायक सफर प्रदान करेंगी। प्रत्येक बस में 45 सीटें होंगी और ये पूरी तरह एसी लग्जरी बसें होंगी। खास बात यह है कि एक बार हाइड्रोजन भरने पर बस 600 किलोमीटर तक बिना रुके चल सकेगी। इन बसों से धुआं नहीं निकलेगा, बल्कि केवल पानी की भाप निकलेगी। यानी जेवर एयरपोर्ट तक का सफर पूरी तरह प्रदूषणमुक्त होगा। यह बसें भारत के ग्रीन ट्रांसपोर्ट सेक्टर में एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि साबित हो सकती हैं।
गंदे पानी से तैयार होगा हाइड्रोजन ईंधन इस परियोजना की सबसे अनोखी बात यह है कि हाइड्रोजन ईंधन गंदे पानी को रिफाइन करके बनाया जाएगा। ग्रेटर नोएडा स्थित एनटीपीसी प्लांट में यह ईंधन तैयार होगा। बसों में ईंधन भरने और उनका रखरखाव एनटीपीसी करेगा, जबकि संचालन और ड्राइवर की व्यवस्था यमुना प्राधिकरण संभालेगा। अधिकारियों का मानना है कि यह मॉडल भविष्य के ग्रीन ट्रांसपोर्ट का मास्टरप्लान साबित हो सकता है।
जेवर एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी होगी और बेहतर यमुना प्राधिकरण के अनुसार, जेवर एयरपोर्ट भारत का सबसे बड़ा और आधुनिक एयरपोर्ट बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। एयरपोर्ट को जोड़ने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे, मथुरा रोड और फरीदाबाद-नोएडा कॉरिडोर जैसी सड़कें पहले से विकसित की जा रही हैं। हाइड्रोजन बसें शुरू होने के बाद यह पूरा इलाका देश का पहला फुल-ग्रीन ट्रांसपोर्ट जोन बनने की ओर बढ़ेगा। यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह बसें प्रदूषण कम करने में बड़ी भूमिका निभाएंगी और सफर को और आरामदायक बनाएंगी। यह परियोजना यमुना क्षेत्र को इको-फ्रेंडली कैपिटल में बदलने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।