डॉ. बी.आर. आंबेडकर को देश ने किया नमन;
पीएम और राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि
5 days ago Written By: Aniket Prajapati
देश आज संविधान निर्माता और समाज सुधारक डॉ. बी.आर. आंबेडकर की पुण्यतिथि यानी महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें नमन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा कि वे बाबासाहेब आंबेडकर को स्मरण करते हैं और उनकी दूरदर्शिता व न्याय-समानता के प्रति प्रतिबद्धता ने भारत की विकास यात्रा को दिशा दी। राष्ट्रपति मुर्मू ने संसद भवन परिसर स्थित आंबेडकर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। हर साल 6 दिसंबर को यह दिन देश में डॉ. आंबेडकर को याद करने के लिए मनाया जाता है।
आंबेडकर की याद और पीएम का संदेश प्रधानमंत्री ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में आगे लिखा कि आंबेडकर ने पीढ़ियों को मानव गरिमा और लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। पीएम मोदी ने कामना की कि बाबासाहेब के आदर्श विकसित भारत के निर्माण में आगे भी मार्ग रोशन करते रहें। उनके शब्दों में आंबेडकर की विचारधारा और संवैधानिक मूल्यों का महत्व दोहराया गया।
राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के संसद भवन परिसर में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट से जारी संदेश में कहा गया कि उन्होंने श्रद्धा और सम्मान के साथ बाबासाहेब को नमन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि आंबेडकर की शिक्षाएं और संघर्ष आज भी एक न्यायपूर्ण व समानता-आधारित समाज बनाने में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
महापरिनिर्वाण दिवस का अर्थ और इतिहास डॉ. बी.आर. आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था, इसलिए यह दिन महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1956 में ही आंबेडकर ने हिंदू समाज की कुरीतियों और असमानताओं से दुखी होकर बौद्ध धर्म अंगीकार किया था। बौद्ध दर्शन में ‘परिनिर्वाण’ का अर्थ है मृत्यु के बाद पूर्ण मुक्ति — सभी इच्छाओं, मोह-माया और सांसारिक बंधनों से मुक्त होना। यह सर्वोच्च अवस्था सदाचार और अनुशासन से प्राप्त मानी जाती है।
समापन देशभर में आज डॉ. आंबेडकर के विचारों, संविधान-समर्पण और सामाजिक न्याय के लिए किए गए संघर्ष को याद किया जा रहा है। नेताओं, नागरिकों और सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की बात कही जा रही है ताकि समानता और इंसानियत के सिद्धांत जारी रहें।