'भारत का अपमान मंज़ूर नहीं'– कानपुर-अलीगढ़ ने तोड़े तुर्किये से सारे व्यापारिक संबंध,
AMU में अब नहीं होंगे साझा रिसर्च और सम्मेलन
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का असर अब व्यापार पर भी दिखने लगा है। कानपुर और अलीगढ़ के कारोबारियों ने तुर्किये से सभी व्यापारिक रिश्ते खत्म करने का फैसला किया है। कारोबारियों ने कहा कि तुर्किये ने भारत के दुश्मन का साथ दिया है। ऐसे में तुर्किये से कोई भी सामान नहीं मंगाया जाएगा और न ही वहां भेजा जाएगा। यह फैसला विरोध में लिया गया है। इससे भारत को थोड़ा नुकसान हो सकता है, लेकिन तुर्की को ज्यादा असर पड़ेगा।
कानपुर में 1300 करोड़ का व्यापार
कानपुर में तुर्किये के साथ हर साल लगभग 1300 करोड़ रुपए का व्यापार होता है। इसमें 600 करोड़ रुपए सिर्फ मार्बल का है। बाकी 700 करोड़ के लेदर, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक, प्लास्टिक और डेयरी उत्पादों का होता है। फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के अधिकारी आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि तुर्किये को सबसे ज्यादा मांग कानपुर के उत्पादों की रहती है।
80% ऑर्डर किए गए कैंसिल
मार्बल कारोबारी हिमांशु पाल ने बताया कि टर्किश मार्बल की कानपुर में बड़ी मांग है। लेकिन अब 80 फीसदी ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं। व्यापारी प्रशांत तिवारी ने कहा कि टर्किश मार्बल दिखने में अच्छा है, लेकिन भारतीय मार्बल उससे कहीं बेहतर है। कारोबारी संजय जैन ने बताया कि उन्होंने 50 लाख का ऑर्डर कैंसिल कर दिया है। इसके साथ ही कानपुर के होटल व्यवसायी हरमिंदर सिंह ने दो होटल के लिए टर्किश टाइल्स का ऑर्डर दिया था। लेकिन अब उन्होंने वह ऑर्डर रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा दुश्मन का साथ देने वाला भी दुश्मन होता है।
अलीगढ़ ने ताला और हार्डवेयर का भेजना रोका
अलीगढ़ के हार्डवेयर और ताला कारोबारी भी तुर्किये से नाराज हैं। वीरेंद्र गोस्वामी और विशाल गुप्ता ने बताया कि अब वहां कोई भी सामान नहीं भेजा जाएगा। बता दें कि कानपुर फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश सिंह ने कहा कि अब तुर्किये से सेब भी नहीं लेंगे। दुश्मन देश से किसी तरह का व्यापार नहीं करेंगे।
एएमयू ने शैक्षणिक संबंध तोड़े
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) ने भी तुर्किये से सभी शैक्षणिक संबंध खत्म कर दिए हैं। पहले तुर्किये के विश्वविद्यालयों के साथ साझा रिसर्च और सम्मेलन होते थे। लेकिन अब एएमयू का तुर्किये से कोई संबंध नहीं रहेगा। हालांकि, तुर्की भाषा का डिप्लोमा कोर्स अभी जारी रहेगा।