कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय विवाह के बाद वृंदावन पहुंचे;
परिवार-भक्तों ने नवदम्पति का गर्मजोशी से स्वागत किया
3 days ago Written By: Aniket Prajapati
वृंदावन — प्रसिद्ध युवा कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और उनकी नवविवाहिता पत्नी शिप्रा रविवार देर रात वृंदावन पहुंचे। विवाह संस्कार संपन्न कराते ही दंपति जब अपनी धार्मिक नगरी आए तो उनके आवास पर परिवार के सदस्य, अनुयायी और शुभचिंतक एकत्रित हुए और उन्हें पारंपरिक ढंग से स्वागत किया। घर को सजाया गया और पूरे माहौल में उत्सव की झलक रही। सोशल मीडिया पर पहले से चर्चा में रहे इस विवाह के बाद अनुयायियों की उत्सुकता अब व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद देने के लिए मिलने तक पहुँची है।
स्वागत और पारिवारिक अंदाज़ इंद्रेश और शिप्रा के आगमन पर परिवार के सदस्यों ने गृहस्थ रीति-रिवाज के साथ स्वागत किया। घर में पारंपरिक सजावट और मंगल गीतों ने माहौल को धार्मिक और हर्षित बना दिया। महिलाओं द्वारा गीत और आशीर्वाद के साथ नवदंपति का स्वागत किया गया और परिजन तथा नज़दीकी रिश्तेदार इस खुशी के मौके पर शामिल हुए।
संत-महंत और अनुयायियों की मौजूदगी वृंदावन के कई संत और विशिष्ट अतिथि भी नवदंपति को आशीर्वाद देने पहुंचे। संत-महंतों ने जोड़े के दीर्घ सुख और मंगल के लिए मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं तथा धार्मिक परंपराओं के अनुरूप आशीर्वाद देकर उनका अभिनंदन किया। अनुयायियों और भक्तों ने भी जोड़े के लिए खुशी व्यक्त की और उन्हें अपना समर्थन व स्नेह दिखाया।
इंद्रेश की लोकप्रियमता और पारिवारिक पृष्ठभूमि इंद्रेश उपाध्याय, जिन्हें अनुयायी प्रेमपूर्वक 'जय जय' बुलाते हैं, वृंदावन के विख्यात कथावाचक श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री 'ठाकुर जी' के सुपुत्र हैं। उनकी कथाएँ, भजन और प्रवचन विशेषकर युवा पीढ़ी में लोकप्रिय हैं। विवाह समारोह में अध्यात्म जगत और समाज के कई गणमान्य लोग भी मौजूद रहे, जिन्होंने इंद्रेश के काम की सराहना की।
भविष्य की शुभकामनाएँ और समापन उपस्थित लोगों ने नवदंपती के सुखी वैवाहिक जीवन की कामना की और उन्हें भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया। वृंदावन आगमन को एक नए अध्याय की शुरुआत बताया जा रहा है, जिसे इंद्रेश के अनुयायी उत्साह के साथ देख रहे हैं। छोटे से समारोह में परंपरा और उत्सव का सुंदर समागम रहा, और नवदंपति ने इस स्वागत को सादगी व खुशी से स्वीकार किया।