जौनपुर की शाही अटाला मस्जिद विवाद पर सुनवाई आज,
हिंदू पक्ष का दावा- खारिज होगी मुस्लिम पक्ष की याचिका
9 days ago
Written By: State Desk
लखनऊ: यूपी के जौनपुर जिले में स्थित ऐतिहासिक शाही अटाला मस्जिद को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू पक्ष की तरफ से इसे अटाला देवी मंदिर बताते हुए पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी गई है। इस मामले की सुनवाई 18 फरवरी 2025 को होनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह टल गई। अब अगली सुनवाई की तारीख 15 अप्रैल 2025 यानी आज नियत की गई है। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस दिन मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज हो जाएगी।
क्या है पूरा मामला…?
हिंदू संगठन स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की ओर से अदालत में याचिका दाखिल कर दावा किया गया है कि जौनपुर की अटाला मस्जिद पहले अटाला देवी मंदिर हुआ करता था। याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने इस प्राचीन मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण कराया। हिंदू पक्ष ने मंदिर के अवशेषों और ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए वहां पूजा-अर्चना की अनुमति की मांग की है।
दोनों पक्ष रख चुके हैं अपनी-अपनी दलीलें…
इस प्रकरण में वक्फ अटाला मस्जिद कमेटी ने सिविल जज सुधा शर्मा की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें हिंदू पक्ष की याचिका को पोषणीय न मानने की अपील की गई। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद वक्फ का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया और मामले में अमीन की रिपोर्ट, जवाबदेही व अस्थायी निषेधाज्ञा पर आपत्ति की सुनवाई के लिए अगली तिथि नियत कर दी।
क्या है हिंदू पक्ष के दावे का आधार?
स्वराज वाहिनी एसोसिएशन और याचिकाकर्ता संतोष कुमार मिश्रा के मुताबिक, अटाला देवी मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में राजा विजय चंद्र ने कराया था। उन्होंने इन आधारों पर कोर्ट में याचिका दायर की थी। आइए डालते हैं दावों पर एक नजर…
1- त्रिपुरारि भास्कर की किताब ‘जौनपुर का इतिहास’ में अटाला देवी मंदिर का उल्लेख मिलता है।
2- 1875-76 में एएसआई की रिपोर्ट में अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस स्थल को मंदिर का अवशेष बताया है।
3- मार्कंडेय पुराण, 1920 के गजेटियर और अन्य पुराणों में तीन देवी मंदिरों का उल्लेख है, जिसमें से दो आज भी मौजूद हैं।
4- मस्जिद की संरचना में मौजूद हिंदू शैली के पत्थर, कमल पुष्प की नक्काशी को भी हिंदू पक्ष प्रमाण के रूप में पेश कर रहा है।
मुस्लिम पक्ष का पक्ष और दस्तावेजी दावा…
वहीं, अटाला मस्जिद प्रशासन और मस्जिद कमेटी का तर्क है कि यह स्थान शुरू से मस्जिद ही रहा है। उन्होंने भी इस विवाद के बीच मस्जिद को लेकर कुछ दावे किए हैं। आइए डालते हैं मुस्लिम पक्ष के दावों पर भी एक नजर…
1- मुगलकालीन इतिहासकार अबुल फजल की ‘आइने अकबरी’ के अनुसार, मस्जिद की नींव 1376 में फिरोजशाह तुगलक ने रखी और 1408 में इब्राहिम शाह शर्की ने निर्माण पूरा कराया।
2- शर्की वास्तुविद और पर्सी ब्राउन ने भी मस्जिद की भव्यता और शिल्पकला की तारीफ की है।
3- मस्जिद कमेटी का दावा है कि 1398 से अब तक यहां नमाज अदा होती आ रही है और हिंदू पक्ष का मुकदमा कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है।
मामले में सुनवाई आज…
दरअसल, इस पूरे मामले में 18 फरवरी को सुनवाई पत्रावली न पहुंच पाने के कारण टल गई थी। जिसके बाद अगली सुनवाई की तारीख 15 अप्रैल 2025 यानी आज सुनिश्चित की गई थी। इसे लेकर आज कोर्ट में सुनवाई होनी है। इसको लेकर हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि इस दिन मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज होगी, जबकि मस्जिद कमेटी का कहना है कि उनके पक्ष में सभी दस्तावेज और ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं।