फैसले जज बदलने से नहीं बदलने चाहिए:
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना का बड़ा बयान
1 months ago
Written By: Aniket prajapati
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा है कि अदालतों के फैसले सिर्फ इसलिए नहीं बदलने चाहिए क्योंकि बेंच में बैठे जजों के चेहरे बदल गए हैं। वे सोनीपत स्थित ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रही थीं। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता का असली अर्थ यही है कि अदालत का फैसला पक्का, स्थायी और सम्मानित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक बार दिया गया फैसला स्याही की तरह स्थायी होता है, रेत पर खींची गई लकीर की तरह नहीं कि आसानी से मिटा दिया जाए।
“जज बदल गए तो फैसला बदलने की कोशिश गलत”
जस्टिस नागरत्ना ने अपने संबोधन में उस प्रवृत्ति पर चिंता जताई, जिसमें किसी पीठ के जाने के बाद नई पीठ पुरानी पीठ के फैसलों को बदलने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि यह तरीका न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उसकी विश्वसनीयता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कानूनी बिरादरी, सरकार और सभी संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का सम्मान करें और सिर्फ जजों के बदलने के आधार पर फैसलों को पलटने की कोशिश न करें।
न्यायपालिका शासन का अहम स्तंभ
सम्मेलन में जस्टिस नागरत्ना ने बताया कि भारतीय न्यायपालिका देश के शासन तंत्र का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। अदालतों को कई बार ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जो नागरिकों के भविष्य और देश के लोकतंत्र पर असर डालते हैं। उन्होंने कहा कि कानून के शासन को कायम रखना न्यायपालिका का कर्तव्य है और यह तभी संभव है जब उसके फैसले स्थिर, स्पष्ट और सम्मानित हों।
जजों के निजी आचरण पर भी दिया जोर
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता सिर्फ फैसलों में ही नहीं, बल्कि जजों के व्यक्तिगत आचरण में भी दिखनी चाहिए। जजों का व्यवहार निष्पक्ष, पारदर्शी और राजनीतिक प्रभावों से पूरी तरह मुक्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक अलगाव न्यायिक निष्पक्षता की बुनियाद है।
26 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के बयान का भी किया उल्लेख
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खुद चिंता जताई थी कि कई मामलों में नई बेंचें पुरानी बेंचों के फैसले बदल रही हैं। कोर्ट ने कहा था कि फैसलों की अंतिमता जरूरी है, ताकि अंतहीन मुकदमेबाजी रोक सके और जनता का न्यायपालिका पर भरोसा बना रहे।