न्यायमूर्ति सूर्यकांत 53वें प्रधान न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे,
बीआर गवई की लेंगे जगह
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
नई दिल्ली: भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत सोमवार को देश के 53वें प्रधान न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मामलों में शामिल रहे हैं, जिनमें अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हटाने का फैसला, बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण और पेगासस स्पाइवेयर मामले की जांच शामिल है। वह न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल आज शाम समाप्त हो जाएगा। सूर्यकांत लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे और 9 फरवरी, 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।
वकील से प्रधान न्यायधीश तक का सफर हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी 1962 को जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अपने करियर की शुरुआत एक छोटे शहर के वकील के रूप में की थी। उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री ‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान के साथ प्राप्त की। उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। 5 अक्टूबर, 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उनके करियर में संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में उनका योगदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है।
अनुच्छेद 370 और अन्य ऐतिहासिक फैसले न्यायमूर्ति सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले की पीठ का हिस्सा रहे। इसके अलावा उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिकता अधिकार और राजद्रोह कानून के मामलों में भी महत्वपूर्ण आदेश दिए। उन्होंने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए निर्देश जारी किए और सुनिश्चित किया कि मसौदा सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण सार्वजनिक किया जाए।
लैंगिक न्याय और लोकतंत्र पर जोर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने लैंगिक न्याय को मजबूत करने के लिए कई फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने गैरकानूनी रूप से हटाई गई महिला सरपंच को बहाल किया और बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करने के निर्देश दिए।
रक्षा बल और पेगासस मामले में योगदान उन्होंने वन रैंक-वन पेंशन योजना को संवैधानिक रूप से मान्यता दी और महिला अधिकारियों के समानता के अनुरोधों पर सुनवाई जारी रखी। सूर्यकांत पेगासस स्पाइवेयर की जांच के लिए गठित साइबर विशेषज्ञों की समिति में भी शामिल रहे।