उत्तर प्रदेश में है दुनिया का सबसे बड़ा घड़ा,
जिसमें समा सकता है एक टैंकर पानी और डूब सकता है आदमी
उत्तर प्रदेश का कन्नौज शहर अपनी इत्र की खुशबू के लिए दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन इस शहर की पहचान अब सिर्फ इत्र तक सीमित नहीं रही। कन्नौज के म्यूजियम में दुनिया का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक घड़ा रखा गया है, जो करीब 1500 साल पुराना बताया जाता है। इस विशालकाय घड़े को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं क्योंकि इसमें पूरे 2000 लीटर यानी लगभग एक टैंकर पानी समा सकता है।
शेखपुरा मोहल्ले से मिली ऐतिहासिक धरोहर
करीब 40 साल पहले कन्नौज के शेखपुरा मोहल्ले में खुदाई के दौरान यह विशाल घड़ा मिला था। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार, यह घड़ा कुषाण वंश के समय का है, यानी लगभग 78 से 230 ईस्वी के बीच का। इस खोज ने कन्नौज के समृद्ध इतिहास को एक नया आयाम दिया है और इसे दुनिया के सबसे पुराने और बड़े घड़ों में शुमार कर दिया गया है।
5.4 फीट ऊंचा और 4.5 फीट चौड़ा घड़ा
यह घड़ा आकार में इतना विशाल है कि इसकी ऊंचाई 5.4 फीट और चौड़ाई 4.5 फीट है। इसमें लगभग 2000 लीटर पानी भरा जा सकता है। मिट्टी से बने इस घड़े की संरचना बेहद मजबूत है और इसे अब तक सुरक्षित रखा गया है। इसे देखने के लिए हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
राजाओं और सैनिकों के उपयोग में आता था यह घड़ा
इतिहासकारों के अनुसार, इस विशालकाय घड़े का प्रयोग प्राचीन काल में राजाओं और उनके सैनिकों के लिए पानी संग्रह करने के लिए किया जाता था। युद्ध के दौरान सैनिकों को इसी घड़े से पानी पिलाया जाता था। माना जाता है कि इसकी मोटी दीवारें पानी को लंबे समय तक ठंडा रखती थीं, जिससे यह उस समय के लिए बेहद उपयोगी साबित होता था।
मिट्टी से बनी अद्भुत कारीगरी
इस घड़े की खासियत यह है कि यह पूरी तरह मिट्टी से बना हुआ है और इतने वर्षों बाद भी यह सुरक्षित है। इसकी बनावट यह दर्शाती है कि उस समय के कारीगर कितने कुशल और वैज्ञानिक सोच वाले थे। इसकी संरचना इतनी मजबूत है कि सदियों बाद भी यह बिना किसी नुकसान के संग्रहालय में मौजूद है।
कन्नौज का गौरवशाली इतिहास
कन्नौज का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। राजा जयचंद से लेकर सम्राट हर्षवर्धन तक, यह भूमि कई ऐतिहासिक साम्राज्यों की गवाह रही है। यहां पुरातत्व विभाग की खुदाई में अक्सर दुर्लभ और प्राचीन वस्तुएं मिलती रही हैं। इस घड़े के अलावा यहां से टेराकोटा की मूर्तियां, एक हजार साल पुरानी मुद्राएं और भगवान शिव की प्राचीन प्रतिमाएं भी मिली हैं, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक समृद्धि को उजागर करती हैं।