पढ़ाई में अव्वल…फिर क्यों आत्महत्या?
10वीं पास शौर्य की मौत पीछे छोड़ गई बड़े सवाल, जानें क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: कानपुर के रावतपुर इलाके से दुखद खबर सामने आई है। यहां 10वीं पास छात्र शौर्य ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। शौर्य इंग्लिश टीचर ओमप्रकाश शर्मा का सबसे छोटा बेटा था। वह हाल ही में BSS स्कूल से 10वीं पास हुआ था। उसके पिता और परिवार का कहना है कि वह बहुत समझदार और होनहार लड़का था। परिवार का कहना है कि उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं था कि शौर्य ऐसा कदम उठा सकता है। अब पूरा परिवार सदमे में है और सभी के मन में एक ही सवाल है, आखिर शौर्य ने ऐसा क्यों किया?
शौर्य के पिता स्कूल में हैं अंग्रेजी के टीचर
शौर्य के पिता ओमप्रकाश शर्मा खुद एक स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक हैं। वह रावतपुर के बी ब्लॉक हितकारी नगर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनका बड़ा बेटा एयरफोर्स में सार्जेंट है। दूसरा बेटा अंशुमान NLK कॉलेज में टीचर है। शौर्य सबसे छोटा था और बहुत होनहार भी। बुधवार की सुबह 11 बजे ओमप्रकाश स्कूल में थे। तभी बहू आशिका का फ़ोन आया। उन्होंने बताया कि शौर्य ने फांसी लगा ली है। जब तक ओमप्रकाश घर पहुंचे शौर्य को अस्पताल ले जाया जा चुका था। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बहुत बड़े सपने देखता था शौर्य
पिता ने बताया कि शौर्य का सपना था कि वह कानपुर के सबसे बड़े स्कूल में पढ़े। वह विदेश जाकर बड़ा आदमी बनना चाहता था। ओमप्रकाश ने कहा हमने कभी उसके सपनों को तोड़ने की कोशिश नहीं की। वह आगे कहते हैं अगर वह कुछ कहता तो हम सब मिलकर उसका साथ देते।
राम चरित मानस का जानकार था शौर्य
पिता ने बताया कि शौर्य को राम चरित मानस पूरी तरह याद थी। वह बिना देखे पाठ करता था। अगर हम कहीं अटकते तो वह तुरंत आगे सुना देता था। वह पूजा-पाठ में रुचि रखता था और हमेशा कुछ अच्छा करने की सोचता था।
परिवार में गहरा दुख
शौर्य की मौत ने पूरे परिवार को तोड़ दिया है। पिता बार-बार यही कह रहे हैं अगर उसने कुछ कहा होता तो हम ज़रूर कुछ करते। परिवार अब सिर्फ यही सोच रहा है कि शौर्य को किस बात ने अंदर से इतना तोड़ दिया कि उसने ऐसा कदम उठा लिया।
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि किशोर अवस्था में बच्चों पर पढ़ाई और भविष्य को लेकर बहुत दबाव होता है। ऐसे में घरवालों को चाहिए कि बच्चों से रोज बात करें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। यह घटना हमें सिखाती है कि हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे कोई न कोई दर्द हो सकता है। जरूरी है कि हम अपनों की बात सुनें और उन्हें अकेला न महसूस होने दें।