कानपुर की चर्चित ‘लुटेरी दुल्हन’ दिव्यांशी चौधरी को मिली बेल,
पुलिस की रिमांड खारिज
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
कानपुर, 2025: यूपी के कानपुर में पुलिस द्वारा 'चार शादी करने वाली लुटेरी दुल्हन' बताई जा रही दिव्यांशी चौधरी को कोर्ट ने रिहा कर दिया है। पुलिस की ओर से 8 दिन की रिमांड की मांग की गई थी, लेकिन अदालत में ठोस सबूत न होने के कारण एसीजेएम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने दिव्यांशी को पर्सनल बॉन्ड पर तुरंत रिहा करने का आदेश दिया और पुलिस की जल्दबाजी पर कड़ी टिप्पणी की।
दिव्यांशी ने अपने पति पर लगाया आरोप बेल मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए दिव्यांशी ने अपने आप को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि उनकी चार शादियां नहीं हुई हैं और उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। साथ ही उन्होंने अपने पति आदित्य पर आरोप लगाया कि जिस थाने में वह तैनात था, उसी थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया।
पुलिस ने लगाए थे गंभीर आरोप कानपुर पुलिस ने दिव्यांशी चौधरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की 12 गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। इनमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जालसाजी, विश्वासघात और जबरन वसूली जैसी धाराएं शामिल थीं। पुलिस ने 8 धाराओं के तहत रिमांड मांगकर कथित गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन बचाव पक्ष के मजबूत तर्कों के आगे यह दलीलें कमजोर साबित हुईं।
बचाव पक्ष ने कोर्ट में क्या कहा दिव्यांशी के वकीलों ने अदालत में कहा कि पुलिस के पास कोई तकनीकी या दस्तावेजी सबूत नहीं हैं जो रिमांड को उचित ठहरा सकें। वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश भसीन, वरुण भसीन, विप्लव अवस्थी और शुभम पांडे ने कोर्ट को बताया कि सिर्फ “आरोपों और अनुमानों” के आधार पर किसी को हिरासत में नहीं भेजा जा सकता। कोर्ट ने इन दलीलों को मान्यता देते हुए पुलिस की रिमांड अर्जी खारिज कर दी।
कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर जताई नाराजगी कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि पुलिस देर शाम रिमांड लेने के लिए पहुंची थी, उम्मीद थी कि बिना पूरी फाइल पढ़े रिमांड मिल जाएगा। अदालत ने कहा कि प्रक्रिया रात में पूरी नहीं की जा सकती, जिससे पुलिस का दांव उल्टा पड़ गया और दिव्यांशी को तुरंत रिहा कर दिया गया।
अगली चुनौती पुलिस के सामने पुलिस का आरोप है कि दिव्यांशी एक संगठित गिरोह की सदस्य थी, जो शादी का झांसा देकर अमीर लोगों को ब्लैकमेल करता था। अब पुलिस के सामने चुनौती यह है कि वह ठोस सबूत के साथ फिर से रिमांड मांगे या चार्जशीट दाखिल करे।