कानपुर-उन्नाव वाई-आकार पुल को मंजूरी,
730 करोड़ से बदलेगी कनेक्टिविटी
6 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: कानपुर से उन्नाव को सीधे जोड़ने वाली वाई-आकार पुल परियोजना को आखिरकार सरकार से हरी झंडी मिल गई है। करीब दस साल से फाइलों में अटकी यह योजना अब आगे बढ़ने जा रही है। वित्त एवं व्यय समिति ने इस परियोजना के लिए 730 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी है। यह पहली बार है जब इस पुल को आधिकारिक वित्तीय स्वीकृति मिली है। परियोजना के पूरा होने के बाद वीआईपी रोड से सीधे ट्रांसगंगा सिटी तक पहुंचना बेहद आसान होगा और गंगा नदी पार करने के लिए लंबे चक्कर की जरूरत खत्म हो जाएगी। इस महत्वपूर्ण निर्णय से पूरे क्षेत्र में विकास की नई उम्मीदें जाग उठी हैं।
दस साल बाद मिली स्वीकृति यह परियोजना 2015 से लगातार लंबित चल रही थी। अप्रैल 2024 में यूपीसीडा ने 799 करोड़ रुपये का संशोधित प्रस्ताव भेजा था, लेकिन जून में वित्त व्यय समिति ने कई आपत्तियों के साथ फाइल वापस कर दी। इन सभी आपत्तियों के समाधान के बाद अब 730 करोड़ रुपये के बजट को अंतिम मंजूरी मिल गई है। इस स्वीकृति के साथ पुल निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
चार किलोमीटर लंबा होगा नया वाई-शेप पुल सेतु निगम के अनुसार प्रस्तावित पुल करीब चार किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें 1,825 मीटर हिस्सा गंगा नदी के ऊपर बनेगा। पुल की शुरुआत रानीघाट जलकल पंपिंग स्टेशन के पास होगी और यह धोबीघाट तक पहुंचेगा। ट्रांसगंगा सिटी के गेट नंबर-2 से लगभग 400 मीटर पहले दोनों ओर से आने वाले पुल मिलकर चौड़ा फोरलेन मार्ग बनाएंगे। इससे भारी वाहनों का दबाव कम होगा और ट्रांसगंगा से कानपुर की दूरी काफी कम हो जाएगी।
33 सरकारी मकान होंगे ध्वस्त पंपिंग स्टेशन के पास बने 33 सरकारी आवासों को निष्प्रयोज्य घोषित किया गया है। इन्हें हटाकर पैरा घाट के पास नए आवास बनाए जाएंगे, जिन पर 13 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अधिकारियों के अनुसार नए आवासों की मंजूरी मिलते ही पुराने भवनों को हटाने का काम शुरू कर दिया जाएगा ताकि निर्माण बाधित न हो।
औद्योगिक विकास को मिलेगी रफ्तार ट्रांसगंगा सिटी में तेजी से बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों को देखते हुए यह पुल बेहद महत्वपूर्ण है। पुल बनने के बाद कानपुर और उन्नाव के बीच कनेक्टिविटी मजबूत होगी, यातायात कम होगा और लखनऊ जाना भी आसान हो जाएगा। सेतु निगम अधिकारियों ने बताया कि शासनादेश मिलते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। एक दशक से प्रतीक्षित यह परियोजना अब हकीकत के करीब है, जिससे दोनों जिलों में उत्साह है।