क्या महाभारत और रामायण में मिलता है करवा चौथ का जिक्र,
जानिए द्रौपदी और सीता से जुड़ी सच्चाई
16 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Karwa Chauth: 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत है, जो उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु और सुख-संपत्ति के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। कहा जाता है कि यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। लेकिन क्या यह व्रत महाभारत काल की द्रौपदी और रामायण काल की सीता भी रखती थीं? धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस सवाल का जवाब ‘नहीं’ है। हालांकि कुछ कथाओं में ऐसे व्रतों का जिक्र ज़रूर मिलता है जो करवा चौथ जैसे हैं।
रामायण और महाभारत में नहीं है करवा चौथ का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में करवा चौथ नाम का कोई व्रत नहीं मिलता। न तो वेदों में, न पुराणों में, और न ही रामायण या महाभारत में इस व्रत का कोई उल्लेख है। यह व्रत लोक परंपरा से विकसित हुआ, जो बाद में धार्मिक मान्यता प्राप्त कर गया। भविष्य पुराण और नारदीय पुराण में करक चतुर्थी या करक व्रत का उल्लेख मिलता है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती थीं। यही व्रत आगे चलकर करवा चौथ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण या रामचरितमानस में सीता द्वारा किसी करवा चौथ व्रत का उल्लेख नहीं मिलता। हालांकि लोककथाओं में कहा गया है कि सीता ने राम की सुरक्षा के लिए चंद्रमा को अर्घ्य दिया था, लेकिन यह धार्मिक प्रमाणों में दर्ज नहीं है।
द्रौपदी और करक व्रत की कथा महाभारत में द्रौपदी का एक प्रसंग मिलता है, जब अर्जुन तपस्या के लिए वन में गए थे और द्रौपदी चिंतित थीं। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें करक व्रत रखने की सलाह दी। इस व्रत में मिट्टी के घड़े में जल भरकर गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती थी। चांद के दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता था। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से अर्जुन की तपस्या सफल हुई और द्रौपदी का सौभाग्य बना रहा। बाद में यही करक व्रत करवा चौथ के रूप में लोकप्रिय हो गया।
मिट्टी का घड़ा और ‘करवा’ की परंपरा करवा का अर्थ होता है मिट्टी का घड़ा, और चौथ का मतलब चतुर्थी तिथि। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है, जब महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए उपवास करती हैं। धीरे-धीरे यह व्रत सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक उत्सव बन गया, जिसमें चंद्रमा को देख कर व्रत खोला जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहला करवा चौथ व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था।