साहब, मैं जिंदा हूं.. वोट कटौती विवाद पर अखिलेश के ट्वीट से मचा हंगामा,
कासगंज DM ने दी सफाई
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में मतदाता सूची से कथित तौर पर वोट कटौती का मामला इन दिनों बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को उठाकर सीधे चुनाव आयोग और प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला सहावर तहसील के ऊंचागांव से जुड़ा है, जहां कुछ लोगों को सरकारी कागजों में मृत दिखाकर उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाने का आरोप लगाया गया है। इसके चलते कई मतदाता अब प्रशासन से जिंदा घोषित करने की गुहार लगा रहे हैं। हालांकि, कासगंज के जिलाधिकारी ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है और कहा है कि वोट कटौती की कार्रवाई नियमों के मुताबिक हुई है।
अखिलेश यादव का ट्वीट और सियासी हलचल
17 अगस्त 2025 को अखिलेश यादव ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट करते हुए दावा किया कि कासगंज के अमानपुर विधानसभा क्षेत्र के आठ मतदाताओं के नाम गलत तरीके से सूची से हटा दिए गए। अखिलेश ने कहा कि सपा ने इस तरह की अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग को 18,000 शपथपत्र दिए थे, लेकिन आयोग ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जिलाधिकारी को उन लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र दिखाने चाहिए, जिनके आधार पर उनके नाम काटे गए। अखिलेश ने यह भी पूछा कि यदि कोई गड़बड़ी नहीं थी, तो तीन साल बाद प्रशासन को सफाई देने की जरूरत क्यों पड़ी। इस बयान के बाद जिले में सियासी माहौल गरमा गया और सपा कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
जिलाधिकारी की सफाई
कासगंज के जिलाधिकारी प्रणय सिंह ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर इस विवाद को बेबुनियाद बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन आठ मतदाताओं के नाम हटाने की बात कही जा रही है, उनमें से सात नाम डुप्लिकेट प्रविष्टियों के कारण हटाए गए थे। जबकि एक मामले में मतदाता की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने फॉर्म-7 जमा किया था, जिसके आधार पर नाम सूची से हटा। डीएम ने कहा कि सातों मतदाता आज भी सूची में मौजूद हैं और शिकायत पूरी तरह गलत है।
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मतदाताओं की व्यथा: हम जिंदा हैं
इसी बीच सहावर तहसील के ऊंचागांव के कई मतदाता अब भी दावा कर रहे हैं कि उन्हें कागजों में मृत दिखाकर उनकी वोटर आईडी रद्द कर दी गई। कई लोग प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं और अधिकारियों से जिंदा साबित करने की गुहार कर रहे हैं। गांव के निवासी श्याम (बदला हुआ नाम) ने कहा, मैं बिल्कुल जिंदा हूं, परिवार और बच्चे मेरे साथ हैं, फिर भी मेरी वोटर आईडी काट दी गई। यह कैसे संभव है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ ऊंचागांव तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जिले के अन्य हिस्सों में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिन्हें पहले भी प्रशासन ने खारिज कर दिया था।