काशी बनी मॉडल ऑफ डेवलपमेंट,
मोदी-योगी की दृष्टि ने धर्म, संस्कृति और अर्थ को एक सूत्र में पिरोया
15 days ago Written By: प्रणय विक्रम सिंह
Uttar Pradesh News: काशी जहां समय साधना में विलीन होता है, जहां मृत्यु भी मोक्ष का मार्ग बन जाती है, और जहां हर सांस ‘हर हर महादेव’ की अनुगूंज में जीवंत है। वही काशी आज पुनः नवयुग की नाभि बन उठी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संकल्पशक्ति ने इस प्राचीन नगर को केवल पुनर्जीवित नहीं किया, बल्कि विकास, धर्म और अर्थ की त्रिवेणी बना दिया है। 13 दिसंबर 2021 को जब पीएम मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का उद्घाटन किया, तब गंगा तट पर केवल पत्थरों का उद्घाटन नहीं हुआ, बल्कि भारत की आत्मा का पुनर्जागरण हुआ।
तीन वर्षों में पहुंचे 25 करोड़ श्रद्धालु उद्घाटन के बाद से 30 सितंबर 2025 तक 25 करोड़ 28 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। यह आंकड़ा सिर्फ संख्या नहीं, श्रद्धा का समुद्र है। इस दौरान यात्रियों के खर्च से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में लगभग 1.25 लाख करोड़ की नई ऊर्जा का संचार हुआ। हर श्रद्धालु औसतन 4,000 से 5,000 खर्च करता है। यह व्यय नहीं, आस्था का अर्पण है जिसने पूर्वांचल की आर्थिक धमनियों में नवजीवन फूंका है।
कॉरिडोर बना गौरव का गर्भगृह विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा कहते हैं, यह कॉरिडोर गलियारा नहीं, गौरव का गर्भगृह है। मोदी की दूरदर्शिता और योगी की दृढ़ नीति ने लाखों लोगों के लिए नए रोजगार सृजित किए हैं। घाटों का सौंदर्य साधना जैसा है, सड़कें संस्कृति के सोपान बन चुकी हैं, और पूरी काशी अब प्रकाश और प्रगति का प्रतीक बन गई है। यहां अब आरती की लौ के साथ अर्थव्यवस्था के दीप भी जगमगा रहे हैं।
तीर्थ से आगे, काशी बनी विकास की प्रेरणा लगभग 70 प्रतिशत श्रद्धालु दक्षिण भारत से, 15 प्रतिशत अन्य राज्यों से आते हैं और अब विदेशी पर्यटक भी काशी को स्पिरिचुअल कैपिटल ऑफ इंडिया के रूप में देखने लगे हैं। काशी से यात्रा करने वाले लोग अयोध्या, मथुरा, प्रयागराज, विंध्याचल और चित्रकूट जैसे तीर्थों की यात्रा भी करते हैं। यह श्रृंखला अब एक आर्थिक परिक्रमा बन चुकी है जो पूरे उत्तर भारत की जीडीपी में नई लहरें जोड़ रही है।
लोकल से ग्लोबल’ तक फैला काशी का उजाला मोदी का लोकल से ग्लोबल मंत्र काशी में जीवंत दिखाई देता है। यहां के बुनकरों की साड़ी से लेकर घाटों की भक्ति तक, सब कुछ अब वैश्विक पहचान बना चुका है। योगी सरकार धार्मिक नगरीय विकास को राज्य निर्माण का माध्यम बना चुकी है। अब काशी के मार्गदर्शन में अयोध्या, मथुरा और नैमिषारण्य भी आगे बढ़ रहे हैं। स्वच्छता, सुगमता और सुशासन ने काशी को ‘नए भारत की सजीव झलक बना दिया है।
अंत में: साधना से समृद्धि तक की यात्रा काशी आज केवल मोक्ष का नगर नहीं, बल्कि मॉडल ऑफ डेवलपमेंट है। यहां धर्म और नीति, आस्था और आत्मनिर्भरता, परंपरा और प्रगति सभी एक साथ जुड़ गए हैं। काशी का यह पुनर्जागरण भारत की आत्मा का उत्थान है। यह वही क्षण है जब शासन सेवा बन गया, श्रद्धा साधना बन गई, और साधना समृद्धि में बदल गई।