लखनऊ में 13 साल पहले मर चुके डॉक्टर पर लगा 25 लाख का जुर्माना,
फैसले के खिलाफ अपील करेगा KGMU
1 months ago
Written By: State Desk
KGMU Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक आजब-गजब मामल सामने आया है। यहां साल ३००६ में एक बच्ची के गलत इलाज के मामले में 13 साल पहले मर चुके एक चिकित्सक पर उपभोक्ता आयोग ने 25 लाख का जुर्माना लगाया है। डाक्टर की हो चुकी मौत के बाद KGMU को जुरमाना भरने को कहा गया है। जिसके बाद अब KGMU फैसले के विरुद्ध कोर्ट जाने की तैयरी में है।
2006 में हुई थी बीमारी
मिली जानकारी के आनुसार, लखनऊ में रहने वाले राम सागर और ऊषा यादव की 16 महीने की बेटी बेबी राधिका को दिसंबर 2006 में केजीएमयू लाया गया था। जहां वहां उपस्थित डॉक्टर योगेश गोविल ने बच्ची को ‘माइटोकोन्ड्रियल मायोपैथी’ नाम की लाइलाज बीमारी बताई और कहा कि वह दो-तीन दिन से ज्यादा नहीं जिएगी।
दूसरी जांच में सामने आया सच
जिसके बाद निराश माता-पिता अपनी बच्ची को एसजीपीजीआई ले गए, जहां डॉ. सुभा फड़के ने जांच कर बताया कि बच्ची को माइटोकोन्ड्रियल मायोपैथी नहीं है। गलत इलाज की वजह से उसकी हालत बिगड़ गई थी। असल में उसकी रीढ़ की हड्डी में समस्या थी। इलाज और ऑपरेशन के बाद बच्ची की हालत में सुधार हुआ।
उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज
जिसके बाद, 2009 में बच्ची के माता-पिता ने राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत की। सुनवाई के बाद आयोग ने माना कि डॉक्टर और अस्पताल ने बीमारी का गलत आकलन किया और गलत इलाज दिया। इसे मेडिकल लापरवाही माना गया।
डॉक्टर की पहले ही हो चुकी थी मौत
रिपोर्ट्स के मुतबिक, KGMU के डॉ. योगेश गोविल की 13 साल पहले ही सड़क हादसे में मौत हो चुकी थी। लेकिन आयोग को इस बारे में डॉक्टर के वकील और केजीएमयू ने कोई जानकारी नहीं दी। जिसके बाद अब उनपर जुर्माना लगने से हडकंप मच गया है।
केजीएमयू पर 25 लाख का जुर्माना
आयोग ने डॉक्टर को दोषी मानते हुए केजीएमयू को 25 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। यह रकम 60 दिन के अंदर नहीं देने पर 10 प्रतिशत सालाना ब्याज भी लगेगा।
फैसले के खिलाफ अपील करेगा KGMU
इस मामले पर जानकारी देते हुए केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने बताया कि, डॉ. गोविल बहुत कुशल और सम्मानित डॉक्टर थे। इतने वर्षों बाद इस तरह का आदेश आना दुर्भाग्यपूर्ण है। विश्वविद्यालय और शिक्षक संघ इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील करेंगे।
पीड़ित पक्ष की प्रतिक्रिया
पीड़ित पक्ष के वकील विजय कुमार यादव ने कहा कि डॉक्टर और उनके वकील को आयोग को डॉक्टर की मृत्यु की जानकारी देनी चाहिए थी। जानकारी छिपाने का नुकसान अब केजीएमयू को भुगतना पड़ रहा है।