केके मुहम्मद की अपील: मथुरा और ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंप दें,
बाकी जगह मांग न उठे—पूर्व ASI अधिकारी का बड़ा बयान
8 days ago Written By: Aniket Prajapati
देश में मंदिर–मस्जिद विवादों के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक केके मुहम्मद का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने मुसलमानों को सलाह दी है कि वे मथुरा और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद हिंदुओं को स्वेच्छा से सौंप दें, क्योंकि ये स्थान हिंदुओं के लिए उतने ही पवित्र हैं जैसे मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना। हालांकि उन्होंने हिंदुओं को भी सावधान रहने की नसीहत दी और कहा कि इन तीन स्थानों के अलावा नए दावे न उठाए जाएं, क्योंकि इससे समाज में तनाव और विवाद बढ़ सकता है। मुहम्मद ने अयोध्या विवाद को भी वामपंथी प्रचार का परिणाम बताया और कहा कि इस विवाद को अनावश्यक रूप से बढ़ाया गया।
‘अयोध्या विवाद वामपंथी प्रोपेगैंडा से भड़का’ इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में केके मुहम्मद ने बताया कि वह 1976 में प्रो. बी.बी. लाल के नेतृत्व में बाबरी मस्जिद की खुदाई टीम का हिस्सा थे। उनके अनुसार, अयोध्या विवाद एक खास वामपंथी इतिहासकार के प्रभाव के कारण बढ़ा, जिसने मुस्लिम समुदाय को यह यकीन दिलाया कि मस्जिद के नीचे मंदिर के कोई प्रमाण नहीं मिले। मुहम्मद ने कहा कि यह इतिहासकार न तो पुरातत्वविद् था और न ही उसने खुदाई स्थल का दौरा किया, फिर भी उसने दावे किए और उससे माहौल बिगड़ा। उनके अनुसार, शुरू में अधिकांश मुस्लिम समुदाय विवादित स्थल पर मंदिर बनने देने के पक्ष में था, लेकिन गलत प्रचार ने मामला उलझा दिया।
‘झूठे दावे करने वालों ने साइट देखी भी नहीं थी’ मुहम्मद ने कहा कि जिन्होंने बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर न होने की बात कही, उन्होंने साइट कभी देखी ही नहीं। यह आवश्यक था कि कोई इन झूठे दावों का जवाब दे, और पहली बार प्रो. बीबी लाल ने इसका स्पष्ट खंडन किया।
‘कभी–कभी त्याग से शांति मिलती है’: मथुरा–काशी पर सलाह उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि, मथुरा और काशी हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र हैं। मुसलमानों को ये तीनों स्थान स्वेच्छा से सौंप देने चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद हिंदुओं को अन्य धार्मिक स्थलों पर दावा नहीं करना चाहिए, वरना विवाद बढ़ते जाएंगे और समाधान कठिन होगा।
ताजमहल पर दावा बेबुनियाद: मुहम्मद कुछ हिंदू संगठनों द्वारा ताजमहल को मंदिर बताने के दावे पर केके मुहम्मद ने इसे पूरी तरह झूठा बताया। उन्होंने कहा कि यह स्थान पहले राजा मान सिंह का महल था, फिर जय सिंह को और फिर शाहजहां को दिया गया था। इसके ऐतिहासिक दस्तावेज आज भी जयपुर और बीकानेर संग्रहालयों में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि यह “कट्टर समूहों की अनावश्यक कोशिश” है जिसमें वे हर चीज पर दावा कर रहे हैं, जो सही नहीं है।