सरकारी जमीन पर अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर बवाल,
रोकने पहुंची पुलिस पर पथराव, दारोगा का फटा सिर
12 days ago
Written By: State Desk
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के महिंगवा के खंतारी गांव में शनिवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को सरकारी जमीन पर लगाने को लेकर विवाद हो गया। प्रतिमा को हटाने के विरोध में लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में महिलाएं-पुरुष एकत्र होकर नारेबाजी करने लगीं। सूचना पर पहुंची पुलिस ने प्रदर्शन करने वालों को समझाने का प्रयास किया तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर ही पथराव कर दिया। इसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। जिसके बाद बीकेटी, इटौंजा, महिंगवा, मड़ियांव थाने के साथ पीएसी और महिला थाना पुलिस मौके पर पहुंची।
पथराव से कई पुलिसकर्मी हुए घायल
ग्रामीणों के पथराव के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आसूं गैस के गोले दागे हैं। हालात को काबू में करने के लिए अन्य जोन पुलिस बल मौके पर पहुंचा है। महिगंवा थाने के दारोगा रामेन्द्र सिंह, हेड कांस्टेबल जय प्रकाश, लाल मोहम्मद, बीकेटी थाने के दारोगा शेष मणि मिश्रा घायल हुए हैं। जबकि पथराव करने वालों में शामिल सावित्री, पूजा, कोमल, रूबी, मुन्नी होलिका भी चोटिल हुई हैं। उपजिलाधिकारी बख्शी का तालाब सतीश चंद्र त्रिपाठी भी मौके पर पहुंचे हैं।
बिना अनुमति के लगाई सरकरी जमीन पर प्रतिमा
बिना प्रशासनिक अनुमति के ग्राम समाज की जमीन पर लगाई गई मूर्ति को हटाने पहुंचे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को ग्रामीणों के भारी विरोध और हिंसा का सामना करना पड़ा। मामला उस समय बिगड़ गया जब प्रशासन की टीम मूर्ति हटाने पहुंची और ग्रामीणों ने विरोध करते हुए पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया। पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हालात काबू से बाहर होते देख, पुलिस की तरफ से हवाई फायरिंग की भी सूचना मिली है।
पुलिस ने प्रधान प्रतिनिधि को हिरासत में ले लिया
प्रशासन का कहना है, “बिना अनुमति के मूर्ति स्थापित करना कानून का उल्लंघन है, इसे नहीं रहने दिया जा सकता। भीड़ ने कानून अपने हाथ में लिया है।” वहीं, ग्रामीणों का कहना है, “मूर्ति हमारी आस्था से जुड़ी है, इसे हटाना स्वीकार नहीं। पुलिसबल दिखाकर हमारी भावनाओं को कुचला जा रहा है।” सैकड़ों ग्रामीण पहाड़पुर चौराहे पर धरने पर बैठ गए थे, बड़ी संख्या में महिलाएं, बुज़ुर्ग भी प्रदर्शन में शामिल थी तीन दिन पहले ग्राम प्रधान के प्रस्ताव पर यह मूर्ति स्थापित की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने प्रधान प्रतिनिधि को हिरासत में ले लिया।