लखनऊ: एटीएस ने फर्जी भारतीय पहचान बनाकर रह रही,
बांग्लादेशी महिला और सहयोगी गिरफ्तार
1 months ago
Written By: Aniket prajapati
राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट फोर्स (एटीएस) ने गिरफ़्तार कर केन्द्र में लाया गया मामला बड़े पैमाने पर दौड़ने वाले फर्जी दस्तावेज़ नेटवर्क का खुलासा बत रहा है। एटीएस को मुखबिरों से मिली जानकारी के बाद दुबग्गा इलाके में चल रही निगरानी के दौरान निर्मला देवी नाम से रह रही महिला को उसके पति समीर के साथ हिरासत में लिया गया। शुरुआती पूछताछ और मोबाइल तलाशी के बाद महिला ने अपनी असली पहचान नरगिस अख्तर (बांग्लादेश) होना स्वीकार कर लिया। साथ ही दस्तावेज़ तैयार कराने में सहयोग करने वाले हरिओम आनंद को भी गिरफ्तार किया गया। दोनों के पास से बड़ी संख्या में फर्जी पहचान-पत्र और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद हुए हैं।
एटीएस को मिले थे गंभीर इनपुट
एटीएस को पहले से जानकारी थी कि भारत-बांग्लादेश सीमा से लोग अवैध तरीके से आकर भारतीय पहचान बनवा कर अलग-अलग शहरों में रह रहे हैं और कुछ संदिग्ध गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं। दुबग्गा के मकान के सत्यापन के बाद 28 नवंबर को महिला को समीर के साथ एटीएस मुख्यालय लाया गया। शुरुआती जवाबों में उसने निर्मला देवी बताकर मोबाइल पर आधार दिखाया, पर जब परिवार और जन्मस्थान से जुड़े सवालों पर टालमटोल शुरू हुआ तो गहन तलाशी की गई। मोबाइल से बांग्लादेशी नंबर व बांग्ला दस्तावेज मिलने पर उसने अपने असली नाम नरगिस अख्तर और जलोकाटी जिले (बांग्लादेश) के नाबे गांव की रहने वाली बताकर कबूल कर लिया।
बरामद दस्तावेज व पैसे-लेनदेन के सबूत
जांच में एटीएस ने बताया कि नरगिस पिछले लगभग 10 साल पहले टूरिस्ट वीजा पर आई थी और वीजा समाप्त होने के बाद वापस नहीं गई। साल 2022 में हरिओम आनंद से उसकी दोस्ती हुई और बाद में उसने इस नेटवर्क की मदद से स्थानीय भारतीय पहचानें बनवा लीं। गिरफ्तारियों के दौरान बरामद सामान में 3 पैन कार्ड, 4 आधार (दो फर्जी), 3 पासबुक, 4 चेकबुक, 4 डेबिट कार्ड, 2 गाड़ियों की आरसी, पासपोर्ट, निर्वाचन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस की प्रतियां, 3 मोबाइल फोन, 6 सिम कार्ड, डिसएबिलिटी कार्ड, राशन कार्ड सहित बांग्लादेशी जन्म प्रमाणपत्र की फोटो कॉपी मिली है। बैंक खातों में हरिओम का नाम नॉमिनी के रूप में दर्ज था और बैंक-मोबाइल लिंक भी मिले हैं।
बड़े नेटवर्क की आशंका, कड़ी धाराओं में मामला दर्ज
हरिओम ने पूछताछ में स्वीकार किया कि उसने नरगिस के अलावा कई अन्य बांग्लादेशी महिलाओं के लिए भी भारतीय प्रमाणपत्र बनवाए हैं। एटीएस ने कहा कि यह एक लंबे समय से सक्रिय नेटवर्क होने की आशंका है और आगे की छानबीन जारी है। मामले में बीएनएस की धारा 61(2), 336, 337, 338, 340(2) तथा पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12 और आप्रवासन व विदेशी अधिनियम 2025 की धारा 21 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच जारी है और अन्य सहयोगियों एवं सप्लायर्स की पहचान के लिए पड़ताल तेज कर दी गई है।