लखनऊ में ATS ने पकड़ा फर्जी आधार गैंग, 10 दिन की रिमांड पर रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को बसाने वाले दो मास्टरमाइंड,
जानें क्या है मामला
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के लिए फर्जी कागजात के आधार पर आधार कार्ड बना रहा था। इस कार्रवाई में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें दो प्रमुख आरोपी राजीव तिवारी और अक्षय सैनी शामिल हैं, जिन्हें गुरुवार से 10 दिनों की ATS कस्टडी रिमांड पर भेजा गया है। ATS की इस कार्रवाई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
अलग-अलग राज्यों में फैला नेटवर्क
ATS ने राजीव तिवारी को गोरखपुर और अक्षय सैनी को सहारनपुर से पकड़ा। जांच में सामने आया कि यह गिरोह केवल यूपी में ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी सक्रिय था। गिरोह के खिलाफ ATS को कई महीनों से सूचना मिल रही थी कि कुछ जनसेवा केंद्र संचालक वीपीएन और रिमोट सिस्टम के जरिए फर्जी आधार कार्ड बना रहे हैं।
बड़ी मात्रा में उपकरण और दस्तावेज जब्त
गिरफ्तार आरोपियों से ATS ने भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दस्तावेज बरामद किए। अक्षय सैनी के पास से 2 लैपटॉप, 2 प्रिंटर, 1 डेस्कटॉप, 1 फिंगरप्रिंट स्कैनर और 1 आईरिस स्कैनर समेत कई उपकरण मिले। वहीं, तालिब अंसारी से 21 इनरोलमेंट पर्चियां, 10 आधार कार्ड, 7 जन्म प्रमाणपत्र और कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए। ATS बरामद डेटा की जांच कर यह पता लगाएगी कि कितने आधार कार्ड बनाए गए और किन लोगों को दिए गए।
दलालों के जरिए होता था संपर्क
ATS की जांच में यह भी सामने आया कि यह गिरोह दलालों के माध्यम से उन लोगों तक पहुंचता था जिनके पास भारतीय दस्तावेज नहीं थे। इनके लिए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र और शपथ पत्र बनाए जाते थे। इन्हीं आधार पर आधार कार्ड तैयार कर दिए जाते थे। बाद में इन कार्डों का इस्तेमाल पासपोर्ट बनवाने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जाता था। आरोपियों के बैंक खातों में हुए संदिग्ध लेनदेन की भी जांच होगी।
बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग
पूछताछ में ATS फिंगर क्लोन और आईरिस क्लोन बनाने के तरीकों पर भी जानकारी जुटाएगी। गिरोह जनसेवा केंद्रों के अधिकृत यूजर आईडी, पासवर्ड और बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग कर आधार कार्ड जारी करता था। कई बार अन्य राज्यों के ऑपरेटर आईडी का भी इस्तेमाल किया गया।
अदालत में पेशी और आगे की जांच
ATS ने सभी 10 आरोपियों को लखनऊ की विशेष अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया। दो प्रमुख आरोपियों को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ जारी है, ताकि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों और फंडिंग के स्रोतों का पता लगाया जा सके। इस मामले में 19 अगस्त 2025 को लखनऊ के ATS थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
ATS का मानना है कि यह गिरोह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। फर्जी आधार कार्ड के जरिए अवैध विदेशी नागरिक देश में रह रहे थे और सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर रहे थे। इस नेटवर्क के कई और लिंक सामने आने की संभावना है और ATS अन्य संदिग्ध जनसेवा केंद्रों की जांच में जुटी है।