लखनऊ ऑपरेशन थिएटर में गिरे मरीज की मौत,
परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया लापरवाही और मामले को दबाने का आरोप
2 months ago Written By: Aniket Prajapati
लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में मंगलवार रात एक दर्दनाक हादसा हो गया। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आए मरीज की ऑपरेशन थिएटर (OT) में गिरने से मौत हो गई। हादसे के बाद अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं। मृतक के परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान गलत दवा दी और घटना के बाद सच्चाई छिपाने की कोशिश की।
10 मिनट में गिरी तेज आवाज, फिर फैला हड़कंप
घटना मंगलवार दोपहर करीब ढाई बजे की है। मरीज बादशाह हुसैन (55), जो कश्मीरी मोहल्ला, मैदान एलएच खां के रहने वाले थे, मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए OT में लाए गए थे। कुछ ही मिनट बाद ऑपरेशन थिएटर से “धड़ाम” की तेज आवाज आई। बाहर इंतजार कर रहे परिजनों ने जब पूछा तो स्टाफ ने बताया कि मरीज कुर्सी से गिर गए हैं।
चेहरा नीला, आंख सूजी ICU में शिफ्ट, लेकिन नहीं बच सके
परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने बादशाह हुसैन को देखा तो उनका चेहरा नीला पड़ चुका था और आंख सूज गई थी। उन्हें तुरंत ICU में शिफ्ट किया गया और CPR देकर बचाने की कोशिश की गई, लेकिन रात करीब 11 बजे उनकी मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि गलत दवा देने से ही उनकी हालत बिगड़ी और डॉक्टरों ने पूरी सच्चाई छिपाने की कोशिश की।
परिजनों ने पोस्टमॉर्टम से किया इंकार, घर ले गए शव
घटना के बाद परिजनों ने शव का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया और बॉडी को घर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया। उनका कहना है कि सारा मामला अस्पताल की लापरवाही का है और अब वे न्याय की मांग करेंगे।
दामाद का आरोप गलत दवा चढ़ाई गई, फिर गिर पड़े ससुर
मृतक के दामाद बहादुर शाह ने बताया कि सोमवार रात दो और मंगलवार सुबह तीन बोतल दवाएं चढ़ाई गई थीं। दवा चढ़ने के बाद बादशाह हुसैन सामान्य रूप से चल रहे थे। दोपहर में जब उन्हें ऑपरेशन के लिए ले जाया गया, तो डॉक्टरों ने कुर्सी पर बैठाकर अंदर भेजा और बाहर कर दिया गया। कुछ देर बाद भारी आवाज आई और फिर अफरा-तफरी मच गई।
अस्पताल प्रबंधन का बयान ऑपरेशन से पहले बेहोश हुए मरीज
बलरामपुर अस्पताल की निदेशक डॉ. कविता आर्या ने बताया कि मरीज ऑपरेशन से पहले ही अचानक बेहोश हो गए थे। उन्हें तुरंत ICU में भर्ती कर वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें नहीं बचाया जा सका। इस पूरे मामले ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का आरोप है कि अगर समय पर सही इलाज और पारदर्शिता होती, तो शायद एक जान बचाई जा सकती थी।