लखनऊ कोर्ट का अनोखा फैसला: 2,99,571 रुपए बकाया पर किरायेदार को 3 महीने की सिविल जेल,
जानें क्या है मामला
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: लखनऊ जिला कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए किराएदार भास्कर द्विवेदी को तीन महीने की सिविल जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला इसलिए चर्चा में है क्योंकि लखनऊ में पहली बार किसी किराएदार को कोर्ट के आदेशों का पालन न करने और बकाया किराया जमा न करने के कारण सिविल जेल भेजा गया है। कोर्ट ने साफ कहा कि कानून का सम्मान हर किसी को करना चाहिए और बार-बार चेतावनी देने के बावजूद आदेश न मानना गंभीर अपराध है।
किराया बकाया और कोर्ट की कार्यवाही यह मामला मकान मालिक शब्बो जहां और किराएदार भास्कर द्विवेदी के बीच किराए के विवाद से जुड़ा है। भास्कर पर मकान मालिक का कुल 2,99,571 रुपये का बकाया किराया था। कोर्ट ने कई बार उन्हें रकम जमा करने का आदेश दिया और अवसर भी दिया, लेकिन उन्होंने बार-बार आदेशों की अनदेखी की। इसके बाद सिविल कोर्ट ने उनके खिलाफ वसूली वारंट जारी किया।
कोर्ट में पेशी और सजा वसूली वारंट के बाद कोर्ट के अमीन ने भास्कर द्विवेदी को सिविल कस्टडी में लेकर अतिरिक्त जिला जज (एडीजे) की अदालत में पेश किया। सुनवाई में यह स्पष्ट हुआ कि किराएदार ने जानबूझकर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। इसी आधार पर एडीजे कोर्ट ने उन्हें तीन महीने की सिविल जेल की सजा सुनाई। साथ ही आदेश दिया गया कि यदि वे बकाया राशि का भुगतान कर देते हैं तो उनकी रिहाई संभव होगी।
नहीं मिली कोई रियायत सुनवाई के दौरान भास्कर ने निजी मुचलके पर छोड़े जाने की अपील की, लेकिन कोर्ट ने उनके पूर्व आचरण और लगातार आदेशों की अवहेलना को देखते हुए राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मकान मालिक शब्बो जहां को, भास्कर के जीवन निर्वाह भत्ते के लिए 75 रुपये प्रतिदिन अग्रिम रूप से लखनऊ सिविल जेल में जमा कराने होंगे।
क्या है सिविल जेल सिविल जेल वह स्थिति है जब कोई व्यक्ति सिविल कोर्ट के आदेशों का पालन करने में विफल रहता है, जैसे कि बकाया राशि चुकाने से इनकार करना। आपराधिक मामलों से अलग, यहां जेल में रहने का खर्च सरकार नहीं बल्कि मुकदमे के किसी एक पक्ष को उठाना पड़ता है। इस मामले में मकान मालिक को यह जिम्मेदारी दी गई है।