LDA से कैसे गायब हो गईं 21000 फाइलें?
3 साल बाद भी नहीं मिला सुराग, 'चूक' या 'साजिश'?
LDA File Missing Scam: लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह बेहद गंभीर है। करीब 21,000 फाइलें प्राधिकरण के रिकॉर्ड से लापता हैं, जिनमें शहर के विकास, भूखंडों और मकानों से जुड़ी अहम जानकारी दर्ज थी। यह तब हुआ, जब LDA ने अपने दस्तावेजों को डिजिटली सेव करने के लिए राइटर कंपनी को सौंपा था। लेकिन रिकॉर्ड के मिलान में चौंकाने वाला अंतर सामने आया। करीबन 20,499 फाइलें गायब मिलीं।
कैसे गायब हुईं 21 हजार फाइलें?
डिजिटल इंडिया की हवा में जब सरकारी दफ्तरों ने अपने कागज़ी दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्म में कन्वर्ट करना शुरू किया, तो LDA भी इस दौड़ में शामिल हो गया और एक कम्पनी को 1,45,449 फाइलों की स्कैनिंग और डिजिटाइजेशन का काम सौंप दिया। पर हुआ ये कि कंपनी के रिकॉर्ड में सिर्फ 1,25,000 फाइलें ही दर्ज हुईं और इनमें से भी स्कैनिंग के बाद सिर्फ 1,22,000 फाइलें ही वापस मिलीं। मतलब करीब 20,499 फाइलें लापता पाई गईं।
फाइलों के गायब होने से पीड़ितों का बड़ा नुकसान
राजधानी के जानकीपुरम इलाके के रहने वाले अतुल कुमार सिंह ने सेक्टर-जी में 1993 में अपना मकान बनाया था और 2019 में उसे फ्री होल्ड करवाने के लिए अप्लाई किया। लेकिन चार महीने तक LDA के चक्कर काटने के बाद पता चला कि उनकी प्लॉट से जुड़ी फाइल ही LDA के पास नहीं है। इस मामले की उन्होंने कंप्लेन भी की। पर प्राधिकरण के अफसरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
भूखंड की नहीं करा सकें रजिस्ट्री
इसी तरह, गोमती नगर विस्तार के ओम प्रकाश यादव भी इस भ्रष्ट व्यवस्था का शिकार बने। 2015 में उनकी कॉलोनी में सड़क चौड़ीकरण के लिए 18 मकान गिराए गए। बदले में जमीन देने का वादा किया गया। उन्होंने सेक्टर-6 में नई जमीन के एवज में अतिरिक्त भुगतान भी किया। लेकिन जब रजिस्ट्री की बारी आई, तो पता चला कि उनकी भूखंड की फाइल ही गायब है।
समाधान दिवस में भी दर्ज हो रहें इस तरह के कंप्लेन
LDA में हर समाधान दिवस पर इस तरह की सैकड़ों शिकायतें दर्ज होती हैं, जिनमें गायब फाइलों के कारण लोग अपनी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, प्राधिकरण से गायब 20,499 फाइल गायब होने की वजह से लोग परेशान हैं और एलडीए के अफसरों की लापरवाही से उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई डूबने का डर सता रहा है।
कौन हैं जिम्मेदार?
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिरकार इतनी बड़ी चूक के लिए एलडीए के कौन से अफसर जिम्मेदार हैं? विभागीय सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन VC सतेंद्र यादव और स्टोर इंचार्ज रोहन दुबे की जिम्मेदारी थी कि वह फाइलों को सेफ रखें। इन लोगों की तरफ से फाइलों के डिजिटलीकरण के प्रॉसेस में लापरवाही बरती गई। रोहन दुबे, जो अब रिटायर हो चुके हैं, उन्होंने फाइलों के मिलान का काम अधूरा छोड़ा। वहीं VC ने भी राइटर कंपनी को सिर्फ नोटिस देकर मामले को रफा-दफा कर दिया।
22 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री भी
खुलासा यहीं खत्म नहीं होता। सूत्रों के अनुसार, गोमतीनगर के कई खंडों में 22 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री भी की गई, जिसमें से 6 फाइलें भी गायब पाई गईं। इन घोटालों में विनम्र, वास्तु, विराज, विकल्प, विक्रांत और विराट खंड के प्लॉट शामिल हैं। इन फर्जीवाड़ों के पीछे LDA के कुछ बाबुओं की मिलीभगत बताई जा रही है।