लखनऊ में बढ़ा डिजिटल अरेस्ट का खतरा: बुजुर्ग सबसे ज्यादा शिकार,
लाखों गंवा चुके पीड़ित
9 days ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
लखनऊ में साइबर जालसाजों द्वारा किए जा रहे डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2025 में अब तक करीब 35 लोग इसका शिकार बने और लाखों रुपये गंवा चुके हैं। इनमें से 28 मामलों की शिकायत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई है। 2024 में भी शहर के 25 से ज्यादा लोग इस जाल में फंसे थे। सबसे खास बात यह है कि इन मामलों में सबसे अधिक बुजुर्गों को टारगेट बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब डिजिटल अरेस्ट के सभी मामलों की जांच सीबीआई कर सकती है। इससे पीड़ितों को अपने पैसे वापस मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
80 वर्षीय रिटायर्ड डीजीएम से 47 लाख की ठगी आलमबाग के श्रीनगर कॉलोनी में रहने वाले 80 साल के ओम प्रकाश मिश्रा, यूपीपीसीएल में डीजीएम रहे हैं। 11 नवंबर को उन्हें वॉट्सऐप पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर बड़ा फ्रॉड हुआ है। जालसाजों ने उन्हें दो दिन तक वीडियो कॉल पर रोके रखा। इसके बाद 12 नवंबर को दो बार में उनसे 47 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। पीड़ित पूरी तरह मानसिक दबाव में आ गए थे।
बुजुर्ग महिला से 34 लाख निकलवाए महानगर सेक्टर-सी की बुजुर्ग आशा सिंह को भी यही तरीका अपनाकर ठगा गया। 28 सितंबर को वॉट्सऐप कॉल पर जालसाजों ने खुद को एटीएस और ईडी अधिकारी बताया। उन्होंने धमकी दी कि उनका बैंक अकाउंट देश विरोधी लोगों के लेनदेन में इस्तेमाल हुआ है। डर के माहौल में पीड़िता से 11 दिन तक वीडियो कॉल पर बात करते रहे और उनसे 34 लाख रुपये अलग-अलग खातों में जमा करा लिए।
रिटायर्ड बैंक अधिकारी से 2.75 करोड़ की ठगी विकासनगर के सिद्धार्थ नाथ, जो बैंक से रिटायर्ड हैं, 30 अगस्त को ठगी का शिकार हुए। कॉल करने वाले ने कहा कि उनके आधार से मुंबई में सिम निकाला गया है, जो गैरकानूनी कामों में इस्तेमाल हो रहा है। फिर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी दी। सात दिनों तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट में रखा गया। जालसाजों ने उनके एफडी, शेयर और म्यूचुअल फंड कैश करा लिए और कुल 2 करोड़ 75 लाख रुपये अपने खातों में ट्रांसफर करा लिए।
सीबीआई जांच से उम्मीद जगी सीबीआई द्वारा इन मामलों की जांच होने की संभावना से पीड़ितों को उम्मीद है कि शायद उन्हें उनका पैसा वापस मिल सके।