कठौता झील में सिर्फ 8 फीट पानी बचा, 10 लाख लोगों पर संकट सफाई टेंडर पर विवाद,
नगर आयुक्त ने फाइल लौटाई
2 months ago Written By: Aniket Prajapati
लखनऊ की कठौता झील का जलस्तर लगातार घट रहा है। झील में अब सिर्फ 8 फीट तक ही पानी बचा है। शारदा सहायक नहर से पानी की आपूर्ति बंद होने के कारण जलकल विभाग को तीन-तीन घंटे तक पानी की सप्लाई रोकनी पड़ रही है। जलस्तर और नीचे गया तो अगले कुछ दिनों में पानी कटौती और बढ़ सकती है। इससे गोमतीनगर, इंदिरानगर और चिनहट जैसे इलाकों की करीब 10 लाख की आबादी पेयजल संकट में पड़ सकती है।
सिर्फ एक हफ्ते का पानी बचा, हर दिन घट रहा स्तर कठौता झील की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। झील के इनलेट पॉइंट पर करीब पौने दो लाख टन सिल्ट जमा है, जिसकी मोटाई लगभग 6 फीट है। इस वजह से पानी की स्टोरेज क्षमता घट गई है। सुबह और शाम तय समय पर ही पानी की सप्लाई हो रही है, सुबह 6 से 10 बजे और शाम 6 से 9 बजे तक। इससे इंदिरानगर और गोमतीनगर जैसे इलाकों में रोजाना पानी का दबाव कम हो रहा है।
सफाई टेंडर पर विवाद, 10 से 15 करोड़ तक बढ़ाने का प्रस्ताव झील की सफाई के लिए अप्रैल में 10.12 करोड़ रुपए का टेंडर हुआ था। ठेका कड़ाई संस्था को मिला, लेकिन ठेकेदार ने रकम बढ़ाने की मांग की और काम रोक दिया। अब जलकल जीएम कुलदीप सिंह ने टेंडर की रकम को बढ़ाकर 15 करोड़ करने का प्रस्ताव नगर आयुक्त को भेजा। नगर आयुक्त गौरव कुमार ने इसे वापस लौटा दिया और कई आपत्तियां दर्ज की हैं। उन्होंने पूरे मामले की जांच के लिए अपर नगर आयुक्त ललित कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है।
8 नवंबर तक नहर से पानी बंद, सिर्फ स्टोर पानी से चल रही सप्लाई शारदा सहायक नहर की सफाई और मरम्मत के कारण 12 अक्टूबर से 8 नवंबर तक पानी की आपूर्ति बंद है। इस वजह से कठौता झील में फिलहाल सिर्फ स्टोर पानी का उपयोग किया जा रहा है। सिंचाई विभाग ने पहले ही जलकल को सूचना दे दी थी ताकि पानी का भंडारण समय पर किया जा सके। लेकिन झील की सफाई न होने से स्टोरेज क्षमता काफी घट गई है।
पहले भी फ्री में सफाई का प्रस्ताव रद्द हुआ था इससे पहले भी एक एजेंसी झील की सफाई मुफ्त में करने को तैयार थी। एजेंसी केवल झील की मिट्टी और बालू उठाने का अधिकार चाहती थी, लेकिन विवाद के चलते काम रुक गया। इस बार भी स्थिति वही है, सफाई अधूरी, टेंडर पर विवाद और झील बदहाल। स्थानीय पार्षद शैलेंद्र वर्मा का कहना है कि जब पहले ही 10 करोड़ का टेंडर हुआ था, तो अब रकम बढ़ाने की क्या जरूरत? इसमें वित्तीय गड़बड़ी की आशंका है।
8 महीने से रुका काम, अधिकारी जवाबदेही से बच रहे पार्षद शैलेंद्र वर्मा ने जलकल विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अप्रैल में काम शुरू हुआ था लेकिन अब तक 5 फीसदी से भी कम सफाई हुई है। सिल्ट और घास झील के पूरे हिस्से में फैल चुकी है, जिससे स्टोरेज क्षमता घट गई है। अगर जल्द सफाई नहीं हुई तो आने वाले दिनों में लखनऊ के कई हिस्सों में पानी की भारी किल्लत हो सकती है।