नगर निगम लखनऊ के निर्णय अधर में,
2023 से 2025 तक के कई प्रस्तावों पर अब तक कार्रवाई नहीं
2 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: नगर निगम लखनऊ की सामान्य और विशेष बैठकों में वर्ष 2023 से 2025 तक लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय अब तक धरातल पर नहीं उतर सके हैं। प्रशासन की सुस्ती और कार्रवाई की कमी से विकास कार्यों, नागरिक सुविधाओं और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। कई प्रस्ताव ऐसे हैं जिन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया था, पर अब तक उन पर अमल शुरू नहीं हुआ।
13 अगस्त 2023 की बैठक – कई प्रस्ताव अब भी लंबित 13 अगस्त 2023 की स्थगित बैठक में पारित प्रस्तावों में से कोई भी पूरा नहीं हुआ। संकल्प संख्या 06 के तहत आलमनगर वार्ड, राजा नगर में कल्याण मंडप के निर्माण का निर्णय हुआ था, जिसे हुडको की CSR निधि से बनाया जाना था, लेकिन काम शुरू ही नहीं हुआ। संकल्प संख्या 09 में निगम की भूमि पर हुए अतिक्रमण हटाने और उनकी सूची सदन में प्रस्तुत करने का निर्णय हुआ था, लेकिन आज तक कोई रिपोर्ट नहीं आई। इसी बैठक में नगर निगम कर्मचारियों के आश्रितों को भवनकर और जलकर में छूट देने (संकल्प 19) और गऊघाट पार्क का नाम “संत गाडगे पार्क” रखने का निर्णय भी लिया गया, पर दोनों ही प्रस्तावों पर काम नहीं हुआ। इसके अलावा, शहीद लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीकांत यादव के सम्मान में सड़क का नामकरण और द्वार निर्माण (संकल्प 29) भी अधर में है। जलकल विभाग से जुड़े प्रस्तावों पर बनी समिति की रिपोर्ट भी अब तक सदन में प्रस्तुत नहीं की गई है।
23 नवंबर 2023 की विशेष बैठक – मल्टीप्लेक्स शुल्क वृद्धि पर ठहराव 23 नवंबर 2023 को पुनरीक्षित बजट बैठक में तय हुआ था कि मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों से प्रति शो 25 की बजाय 100 शुल्क वसूला जाएगा, जिससे निगम की आय बढ़ेगी। परंतु यह फैसला भी अब तक लागू नहीं हुआ।
02 सितंबर 2024 की बैठक – अमृत 2.0 परियोजना भी अटकी अमृत 2.0 कार्यक्रम के तहत सरोजनी नगर और अमौसी में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के लिए भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव पास हुआ था। यह शहर की सीवरेज व्यवस्था सुधारने के लिए अहम योजना थी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी भूमि हस्तांतरण शुरू नहीं हुआ।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कर छूट पर भी ठहराव
15 अप्रैल 2025 को पारित प्रस्ताव में नगर निगम और जलकल विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारियों और उनके आश्रितों को भवन कर, जलकर और सीवर कर में छूट देने का निर्णय लिया गया था। यह प्रस्ताव छह महीने पहले पारित हुआ, लेकिन अब तक लागू नहीं हुआ।
प्रशासनिक सुस्ती पर उठे सवाल बता दें कि लगातार बैठकों में पारित प्रस्तावों पर कार्रवाई न होने से नगर निगम प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं। इससे न केवल विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि जनता का भरोसा भी डगमगाने लगा है।