लखनऊ में कब्रिस्तान की जमीन पर बने पीएम आवास, घर के बाहर मिली मजारें,
सहमे लाभार्थी
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) की लापरवाही एक बार फिर चर्चा में आ गई है। बहुचर्चित बसंत कुंज योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने फ्लैटों पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि जिन फ्लैटों का आवंटन लाभार्थियों को किया गया है, वे असल में पुराने कब्रिस्तान की जमीन पर बने हैं। हालात ऐसे हैं कि कई आवासों के बाहर आज भी कब्रें और मजारें मौजूद हैं। यही वजह है कि यहां रहने वाले परिवार डर और असमंजस में हैं।
फ्लैट के बाहर मिली मजारें
मोहन रोड मौंदा निवासी जितेंद्र यादव को पीएम आवास योजना के तहत सेक्टर-एन, पॉकेट-डी में फ्लैट नंबर 47/8 आवंटित हुआ था। लेकिन जब वह अपने परिवार के साथ वहां पहुंचे तो घर के ठीक सामने तीन मजारें देखकर हैरान रह गए। डर के कारण उनकी पत्नी और बच्चों ने वहां रहने से मना कर दिया। अब जितेंद्र यादव मजबूरी में किराए के मकान में रह रहे हैं, जबकि उन्होंने करीब 4.5 से 5 लाख रुपये खर्च कर 330 वर्गफुट का यह फ्लैट खरीदा था।
कब्रिस्तान की जमीन होने का आरोप
जितेंद्र यादव का कहना है कि यह जमीन पहले बरी कला गांव का कब्रिस्तान हुआ करती थी। इस संबंध में उन्होंने छह महीने पहले ही शिकायत दर्ज कराई थी। तब एलडीए के अधिकारियों ने कब्रें हटवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि बच्चों को घर के आसपास खेलने में डर लगता है। रात में लोग इस रास्ते से गुजरने से बचते हैं। यहां तक कि अफवाहें भी फैल गई हैं कि इस इलाके में भूत-प्रेत दिखाई देते हैं, जिससे माहौल और डरावना हो गया है।
जनता अदालत में गूंजी आवाज
गुरुवार को एलडीए कार्यालय में आयोजित जनता अदालत में भी यह मामला उठाया गया। जितेंद्र यादव ने अधिकारियों के सामने कहा कि खुद का मकान होने के बावजूद वे किराए पर रहने को मजबूर हैं। उन्होंने एक बार फिर कार्रवाई की मांग की। हालांकि अधिकारियों ने समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं, जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया गया।