लखनऊ में दागी पुलिसकर्मियों की करतूतों से बढ़ी चिंता…
कई मामलों ने खोली व्यवस्था की पोल
4 days ago Written By: संदीप शुक्ला
Uttar Pradesh News: लखनऊ में कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी जिन पुलिसकर्मियों पर है, वही विभाग की छवि खराब कर रहे हैं। शहर में लगातार बढ़ रहे अपराधों, लूट, छेड़छाड़ और निर्दोष लोगों को फंसाने की घटनाओं ने पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अफसरों की सख्त चेतावनियों और कार्रवाई के बावजूद कई पुलिसकर्मी सुधारने के बजाय माहौल बिगाड़ रहे हैं। हालिया मामला बंथरा और कृष्णा नगर के कुछ पुलिसकर्मियों की गतिविधियों से फिर सुर्खियों में है, जिनकी वजह से पुलिस विभाग की छवि को गहरा धक्का लगा है।
बंथरा-कृष्णा नगर के पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप बंथरा और कृष्णा नगर में तैनात दरोगा संतोष कुमार, सिपाही घसीटे लाल सोनकर, भूपेंद्र सिंह, अवनीश कुमार और चालक प्रवीण यादव पर 30 दिसंबर 2020 के केस में गलत कार्रवाई का आरोप लगा। इन पुलिसकर्मियों ने बंथरा निवासी विकास गुप्ता, दर्शन लाल, लालता सिंह, कौशलेंद्र और कल्लू गुप्ता को पकड़कर 42 हजार रुपये की सरिया बरामदगी दिखाते हुए जेल भेज दिया था। आरोप है कि जेब गरम होते ही न केवल केस बनाया गया बल्कि तुरंत चार्जशीट भी लगा दी गई। सरकार ने इस मामले की जांच एंटी करप्शन को दी तो इन पुलिसकर्मियों के काले कारनामे सामने आ गए।
पुराने जख्मों को ताजा करती घटनाएं यह पहली बार नहीं है जब दागी पुलिसकर्मियों ने खाकी को दागदार किया है।
वर्ष 2019: गोसाईगंज में कोयला व्यापारी के घर पुलिस ने ही डकैती डाली।
वर्ष 2021: गोरखपुर में मनीष गुप्ता की हत्या और लूटपाट में कुछ पुलिसकर्मी शामिल पाए गए।
वर्ष 2018: मड़ियांव में चेकिंग के नाम पर सराफा कारोबारी से लूट।
वर्ष 2024: वाराणसी में सराफा व्यवसाई के कर्मचारियों से 42.50 लाख रुपये की लूट।
इसके अलावा श्रवण साहू हत्याकांड और लोकनाथ अपहरण केस जैसे मामलों में भी पुलिसकर्मियों की भूमिका सामने आ चुकी है। इन घटनाओं ने पुलिस पर जनता का भरोसा कमजोर किया है।
जिम्मेदारों पर भी उठ रहे सवाल विशेषज्ञों का कहना है कि निचले स्तर पर बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्ति के लिए बड़े अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। कई मामलों में विभागीय कार्रवाई हुई, कुछ पुलिसकर्मी निलंबित या बर्खास्त भी हुए, लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों ने खाकी की इज्जत दांव पर लगानी जारी रखी है। अफसर हर बार सिर्फ यही कहते हैं कि कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन घटनाएं बताती हैं कि सुधार अभी दूर है।