लखनऊ में मरीज बने ‘फुटबॉल’,
तीन अस्पताल भटकने के बाद भी नहीं मिला इलाज
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था एक बार फिर सामने आई है। यहां मरीजों और उनके तीमारदारों को इलाज के बजाय अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। ऐसा ही मामला राजधानी के राजनारायण लोकबंधु संयुक्त अस्पताल में देखने को मिला, जहां 61 वर्षीय रिटायर्ड सैनिक गंभीर हालत में पहुंचे, लेकिन उन्हें इलाज दिए बिना सिर्फ रेफर कर दिया गया। हालत यह रही कि तीमारदार उन्हें तीन अलग-अलग अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन कहीं भी उन्हें उचित उपचार नहीं मिला। इससे परिवार वालों और स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
61 वर्षीय बुजुर्ग गंभीर हालत में पहुंचे, फिर भी नहीं मिला इलाज
रिटायर्ड सैनिक गिरधारी लाल को कमजोरी, सांस फूलने और यूरिन संबंधी परेशानी के कारण सोमवार को इमरजेंसी में लाया गया। ऑन-ड्यूटी डॉक्टर ने ब्लड प्रेशर चेक किया और किडनी में इन्फेक्शन होने की बात कही। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए इलाज शुरू नहीं किया कि अस्पताल में किडनी विशेषज्ञ मौजूद नहीं है, और बिना उपचार दिए KGMU के लिए रेफर कर दिया।
तीन अस्पतालों के चक्कर: कहीं इलाज नहीं, कहीं कागज़ अधूरे
तीमारदार जय ने बताया कि पहले प्रसाद हॉस्पिटल ले गए, जहां इलाज नहीं मिला। फिर लोकबंधु अस्पताल पहुंचे, पर वहां भी सीधे रेफर कर दिया गया। इसके बाद कमांड हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन यहां कागज़ अधूरे होने का बहाना बनाकर वापस भेज दिया गया। तीन अस्पतालों के चक्कर में मरीज की हालत बिगड़ती चली गई।
पत्नी से अलग रहते हैं, पड़ोसी कर रहे हैं देखभाल
गिरधारी पिछले 15 साल से पत्नी से अलग रह रहे हैं। पड़ोसी जय और उनके परिवार वाले ही उनकी देखभाल कर रहे हैं। वे बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी और वे खाना-पीना भी ठीक से नहीं कर पा रहे थे।
1987 में श्रीलंका मिशन में जा चुके हैं रिटायर्ड सैनिक
गिरधारी बताते हैं कि वे भारतीय सेना में तैनात थे और 1987 में श्रीलंका में भेजी गई पीस कीपिंग फोर्स में भी शामिल हुए थे। हालांकि याददाश्त कमजोर होने के कारण वे ज्यादा जानकारी नहीं दे पाए।
इमरजेंसी की हालत खराब, रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास पड़ी सीमेंट की बोरियां
लोकबंधु अस्पताल में इमरजेंसी की स्थिति बेहद खराब है। रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास सीमेंट की बोरियां पड़ी रहती हैं। इससे सांस के मरीजों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसी जगह से रोज मरीजों को रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।
अस्पताल प्रशासन बोले—जांच होगी, दोषी बचेंगे नहीं
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ने कहा कि सभी मरीजों को प्रारंभिक उपचार देना जरूरी है और बिना इलाज किसी को वापस नहीं भेजा जाना चाहिए। यह शासन का भी स्पष्ट निर्देश है। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है, इसकी जांच कराई जाएगी और जरूरत पड़ने पर दोषियों पर कार्रवाई होगी।