लखनऊ को यूनेस्को ने दी बड़ी पहचान अब ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी’,
हैदराबाद के बाद देश का दूसरा शहर बना नवाबी स्वाद का प्रतीक
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
लखनऊ के खाने, तहजीब और संस्कृति को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है। यूनेस्को ने लखनऊ को ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी’ घोषित किया है। इस सम्मान के साथ लखनऊ अब हैदराबाद के बाद देश का दूसरा शहर बन गया है जिसे यह दर्जा मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि पर खुशी और गर्व जताया है।
पीएम मोदी बोले – लखनऊ की पाक परंपरा भारत की विविधता का प्रतीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा – “लखनऊ अपनी जीवंत संस्कृति और समृद्ध खान-पान की परंपरा के लिए जाना जाता है। मुझे खुशी है कि यूनेस्को ने इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दी है। यह उपलब्धि न सिर्फ लखनऊ की पाक परंपरा का सम्मान है, बल्कि भारत की विविधता और सांस्कृतिक विरासत की झलक भी है।”रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बधाई देते हुए लिखा “लखनऊ की यह उपलब्धि हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। यह शहर की सदियों पुरानी अवधी पाक-कला, तहजीब और स्वाद की उत्कृष्टता का वैश्विक सम्मान है। गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी तक, लखनऊ का हर जायका हमारी संस्कृति और सौहार्द्र की कहानी कहता है।”
यूनेस्को ने समरकंद कॉन्फ्रेंस में की घोषणा यूनेस्को ने यह घोषणा उज्बेकिस्तान के समरकंद में 43वीं जनरल कॉन्फ्रेंस के दौरान ‘वर्ल्ड सिटीज डे’ पर की। यह सम्मान उन शहरों को दिया जाता है जो अपने खानपान, संस्कृति और नवाचार से दुनिया को प्रेरित करते हैं। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि लखनऊ के लिए नामांकन 31 जनवरी 2025 को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने 3 मार्च को यूनेस्को को अंतिम डॉसियर प्रस्तुत किया। 31 अक्टूबर को हुई कॉन्फ्रेंस में लखनऊ को औपचारिक रूप से इस नेटवर्क में शामिल किया गया।
दुनिया के 70 शहरों में शामिल हुआ लखनऊ प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति अमृत अभिजात ने बताया कि अब दुनिया के 70 शहर यूनेस्को के इस नेटवर्क में हैं। इस साल 8 नए शहरों को जोड़ा गया, जिनमें लखनऊ भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि शहर के खानपान, संस्कृति और परंपरा की जीवंतता का परिणाम है।
टुंडे कबाब से लेकर शीरमाल तक, स्वाद ही पहचान लखनऊ की पाक परंपरा सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि उसकी तहजीब और इतिहास का अहम हिस्सा है। यहां की अवधी बिरयानी, गलौटी कबाब, टुंडे कबाब, निहारी, शीरमाल, कुल्फी-फालूदा जैसी डिशें दुनियाभर में मशहूर हैं। शहर की गलियों में शाही रसोई और स्ट्रीट फूड का अनोखा संगम लखनऊ को “जायकों का शहर” बनाता है।
टूरिज्म और रोजगार को मिलेगा बड़ा बढ़ावा पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहचान लखनऊ के फूड टूरिज्म को नई ऊंचाई देगी। स्थानीय बावर्चियों, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। इससे रोजगार बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया – “साल 2024 में लखनऊ में 82.74 लाख पर्यटक आए थे। वहीं 2025 के पहले छह महीनों में ही 70.20 लाख पर्यटक पहुंच चुके हैं। यह साबित करता है कि खानपान और संस्कृति अब यूपी पर्यटन के सबसे बड़े आकर्षण बन चुके हैं।”