रिटायर्ड पीडब्ल्यूडी इंजीनियर के घर से करोड़ों की संपत्ति जब्त,
भ्रष्टाचार की जड़ें हुई उजागर
15 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
नई दिल्ली। भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें देश में बार-बार उजागर होती हैं और हाल ही में इसका नया उदाहरण मध्य प्रदेश में सामने आया। यहां रिटायर्ड पीडब्ल्यूडी इंजीनियर के घर से अकूत संपत्ति जब्त की गई। डीएसपी रैंक के अधिकारी की अगुवाई में हुई इस छापेमारी में नकदी, सोने-चांदी, गहने और कई प्रॉपर्टीज को जब्त किया गया। आम जनता के मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर पुलिस और जांच एजेंसियों द्वारा जब्त की गई संपत्तियों का मालिकाना हक किसे मिलता है।
पीडब्ल्यूडी इंजीनियर के घर से क्या-क्या जब्त हुआ? मध्य प्रदेश लोकायुक्त की इस कार्रवाई में मणिपुरम कॉलोनी स्थित चीफ इंजीनियर के घर से 36 लाख रुपये कैश, 50 लाख रुपये की ज्वैलरी, 56 लाख रुपये की एफडी जब्त की गई। इसके अलावा 2.60 किलोग्राम सोना जिसकी कीमत 3 करोड़ रुपये से अधिक है और 5.5 किलोग्राम चांदी भी जब्त की गई। संपत्ति में 4 लग्जरी कारें, ओपल रेजेंसी कॉम्प्लेक्स में एक लग्जरी अपार्टमेंट, फॉर्म हाउस, चार अन्य प्रॉपर्टीज और 17 टन शहद भी शामिल है। सैनी गांव में बनाए गए मेहरा के फॉर्म हाउस से 6 ट्रैक्टर, 32 निर्माणाधीन कॉटेज और 7 तैयार कॉटेज भी सीज किए गए। जब्त की गई कारें Ford Endeavour, Skoda Slavia, Kia Sonet और Maruti Ciaz परिवार के सदस्यों के नाम पर रजिस्टर्ड हैं।
कौन सा कानून देता है जब्ती का अधिकार? देश में भ्रष्टाचार के तहत संपत्ति, नकदी और गहने जब्त करने की कार्रवाई मुख्य रूप से प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 1988, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) और मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट (PMLA) के तहत की जाती है। सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां या राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक शाखाएं ऐसी कार्रवाई करती हैं। जांच के दौरान संदिग्ध संपत्ति को सीआरपीसी की धारा 102 या PMLA की धारा 5 के तहत जब्त कर लिया जाता है। इसके बाद संपत्तियों का वैल्यूएशन किया जाता है और उन्हें बैंक या एजेंसी के गोदाम में सुरक्षित रखा जाता है।
जब्त संपत्ति का क्या होता है? जब संपत्ति जब्त की जाती है, तो यह जांच एजेंसी या कोर्ट की हिरासत में रहती है। जब तक मामला कोर्ट में लंबित रहता है, संपत्ति का निपटारा नहीं होता।अगर अदालत में आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो ये संपत्तियां सरकारी खजाने में जमा कर दी जाती हैं या सरकार की संपत्ति घोषित कर दी जाती हैं। इसके बाद सरकार चाहे तो इसे नीलामी के जरिए बेचकर उसके धन का इस्तेमाल सरकारी कामकाज या लोक कल्याण में कर सकती है।