संगम नगरी तैयार: माघ मेला 2026 में पहली बार इतनी सख्त सुरक्षा,
हाई-टेक निगरानी और 5000 पुलिसकर्मी तैनात
1 months ago Written By: Aniket prajapati
प्रयागराज, 27 नवंबर 2025: प्रयागराज के संगम तट पर 3 जनवरी 2026 से शुरू होने वाला विश्वप्रसिद्ध माघ मेला अब पूरी तरह तैयारियों के अंतिम चरण में है। पौष पूर्णिमा से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला यह 44 दिवसीय महाआयोजन हर साल करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। लेकिन इस बार दिल्ली के लाल किले पर हुए हालिया विस्फोट ने सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है। इंटेलिजेंस एजेंसियों के अलर्ट के बाद मेला प्रशासन किसी भी तरह की चूक न हो, इसके लिए अभूतपूर्व कदम उठा रहा है।
सुरक्षा पर विशेष फोकस, मुख्यमंत्री के आदेश के बाद तेजी आई तैयारी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हालिया निरीक्षण और समीक्षा बैठक के बाद मेला क्षेत्र में काम की रफ्तार और बढ़ गई है। प्रशासनिक, चिकित्सा, परिवहन, स्वच्छता और आपदा प्रबंधन—सभी विभाग युद्धस्तर पर जुटे हुए हैं। हर दिन लगभग 20 से 25 लाख श्रद्धालुओं और कल्पवासियों के पहुंचने का अनुमान है, जबकि पूरे मेले में 12–15 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। इतने बड़े आयोजन को देखते हुए सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
बीडीएस टीम, डॉग स्क्वॉयड और खुफिया एजेंसियां पूरी तरह सतर्क मेला क्षेत्र में पहले ही बम निष्क्रिय दस्ते (BDS) और डॉग स्क्वॉयड की टीमों को तैनात कर दिया गया है। टीमें लगातार पूरे क्षेत्र में गश्त और जांच कर रही हैं। सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए 17 अस्थायी पुलिस थाने, 42 पुलिस चौकियां और 17 फायर स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। करीब 5000 पुलिसकर्मी मेला क्षेत्र में तैनात होंगे। इसके अलावा यूपी एटीएस, एसटीएफ, एलआईयू और अन्य खुफिया एजेंसियां 24 घंटे निगरानी करेंगी, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके।
हाई-टेक मेला: एआई कैमरे और ड्रोन से निगरानी इस बार तकनीक आधारित सुरक्षा पर भी विशेष जोर है। पूरे मेला क्षेत्र में एआई आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। ड्रोन से हर सेक्टर की निगरानी की जाएगी। इससे भीड़ प्रबंधन और आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया संभव होगी। प्रशासन का लक्ष्य है कि हर श्रद्धालु, संत और कल्पवासी पूरी तरह सुरक्षित महसूस करे।
आस्था, संस्कृति और परंपरा का भव्य उत्सव माघ मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, सनातन संस्कृति और अध्यात्म का विराट उत्सव है। प्रशासन का प्रयास है कि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के संगम तट पर स्नान, ध्यान और कल्पवास का अनुभव कर सकें।