महाराष्ट्र सरकार का नया नियम:
सांसद-विधायक आएंगे तो अधिकारी खड़े होकर करेंगे स्वागत
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार, 20 नवंबर को एक नया और सख्त नियम जारी किया है। इसके तहत अब राज्य के सभी सरकारी अधिकारियों को सांसदों और विधायकों के ऑफिस में प्रवेश करने पर खड़े होकर उनका स्वागत करना होगा। मीटिंग खत्म होने पर भी अधिकारियों को खड़े होकर ही उन्हें विदा करना होगा। इतना ही नहीं, फोन पर बात करते समय भी उन्हें पूरी विनम्रता दिखानी होगी। सरकार का कहना है कि मंत्रालय से लेकर जिला और तालुका स्तर तक हर अधिकारी को जनप्रतिनिधियों के प्रति सम्मान और तहजीब दिखानी जरूरी है। इस आदेश को न मानने वालों पर महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज रूल्स 2005 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
नया प्रोटोकॉल और सरकार की चेतावनी
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में बताया गया है कि जनप्रतिनिधियों को सम्मान देना अब अधिकारियों की अनिवार्य जिम्मेदारी होगी। सरकार ने स्पष्ट कहा है कि अगर कोई अधिकारी इस प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता, काम में देरी करता है या लापरवाही दिखाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
दो महीने में लेटर का जवाब अनिवार्य
सर्कुलर के अनुसार अधिकारियों को सांसदों और विधायकों के लेटर का जवाब दो महीने के अंदर देना जरूरी होगा। इसके लिए हर विभाग को फिजिकल या डिजिटल रजिस्टर बनाकर सभी पत्रों का रिकॉर्ड रखना होगा। अगर कोई अधिकारी तय समय में जवाब नहीं देता, तो उसे विभाग प्रमुख या संबंधित जनप्रतिनिधि को लिखित में कारण बताना होगा। विभाग प्रमुखों को हर तीन महीने में पेंडिंग लेटर्स की समीक्षा करनी होगी।
कार्यक्रमों और बैठकों को लेकर नए नियम
सरकार ने कहा है कि किसी भी सरकारी उद्घाटन या शिलान्यास कार्यक्रम में सभी स्तर के जनप्रतिनिधियों को बुलाया जाए। इनमें केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर, पार्षद, नगर परिषद अध्यक्ष और सरपंच तक शामिल हैं। सभी जगहों पर उनके नाम सही तरीके से प्रिंट हों और बैठने की व्यवस्था प्रोटोकॉल के मुताबिक हो।
अधिकारियों के लिए अहम हिदायतें
सर्कुलर में कई महत्वपूर्ण निर्देश और भी दिए गए हैं—
हर महीने के पहले और तीसरे गुरुवार को दो घंटे सांसद-विधायक से मिलने का समय तय किया जाए।
बैठक का शेड्यूल पहले से जारी कर सभी जनप्रतिनिधियों को बताया जाए।
MPs और MLAs द्वारा उठाए गए जरूरी मुद्दों को कार्य समय में तुरंत सुना जाए।
विधानसभा या संसद सत्र के दौरान बड़े सरकारी कार्यक्रम न रखें।
सभी विभाग विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के निर्देशों का सख्ती से पालन करें और नोटिस मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जानकारी दें।
विशेषाधिकार उल्लंघन की स्थिति में तुरंत रिपोर्ट भेजकर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई की जाए।