परिनिर्वाण दिवस पर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि,
मायावती ने कहा— बहुजनों के अच्छे दिन कब आएंगे?
4 days ago Written By: Aniket Prajapati
लखनऊ के गोमतीनगर स्थित आंबेडकर पार्क में आज भारतरत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। सुबह से ही राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक संगठनों के सदस्य और आम लोग डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने पहुंचे। इसी बीच दिल्ली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपने आवास पर बाबा साहब की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक परिनिर्वाण दिवस पर सम्मान और स्मरण का माहौल देखने को मिला।
मायावती बोलीं— बहुजनों के अच्छे दिन आज भी सवाल श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान मायावती ने कहा कि हर साल स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, आंबेडकर जयंती और परिनिर्वाण दिवस जैसे अवसर पर उनके मन में एक ही सवाल उठता है— “आखिर बहुजनों के आत्मसम्मान और स्वाभिमान वाले अच्छे दिन कब आएंगे?” उन्होंने कहा कि बाबा साहब के बनाए संविधान का उद्देश्य था कि देश के गरीब, कमजोर और मेहनतकश समाज को सम्मान और अधिकार मिले, लेकिन आज भी वह सपना अधूरा है।
लखनऊ और नोएडा में भारी भीड़, बड़े स्तर पर श्रद्धांजलि लखनऊ के डॉ. भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल और नोएडा के राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल एवं ग्रीन गार्डन में भारी भीड़ देखी गई। हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने बाबा साहब को नमन किया। मायावती ने कहा कि जातिवादी पार्टियों के शासन में बहुजन समाज को अब भी अपेक्षित जीवन और अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। इसी वजह से बहुजन समाज बाबा साहब की प्रेरणा से सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है।
विपक्ष पर हमला— बहुजनों को शासक वर्ग बनने से रोका जा रहा मायावती ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे साम, दाम, दंड और भेद जैसे तरीकों से बहुजन समाज को शासक वर्ग बनने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुजनों को अपनी वोट की ताकत पहचाननी चाहिए और उसे पूरी मजबूती के साथ बचाना होगा। उन्होंने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट के SIR (Special Summary Revision) की महत्वपूर्ण भूमिका भी बताई और कहा कि सभी लोगों को इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
रुपये के अवमूल्यन पर चिंता, सरकार से ठोस कदम की मांग मायावती ने रुपये के भारी अवमूल्यन पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा बन गया है। सरकार को इस पर गंभीरता से ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने कहा कि आज की परिस्थितियों में बाबा साहब की शिक्षाओं और संविधान के मूल्यों पर चलना सिर्फ बहुजनों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए जरूरी है।