मायावती 6 दिसंबर को करेंगी नोएडा में विशाल रैली,
2027 चुनाव से पहले यूपी की राजनीति में गरमाहट बढ़ी
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर तेज़ होने वाली है, क्योंकि बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर नोएडा में एक विशाल रैली करने जा रही हैं। यह रैली इसलिए भी खास है क्योंकि मायावती लगभग 14 साल बाद अपने गृह जिले गौतमबुद्ध नगर में इतना बड़ा शक्ति-प्रदर्शन करने जा रही हैं। लखनऊ में आयोजित हाल ही की महारैली की बड़ी सफलता और बिहार चुनाव में एक सीट जीतने से बीएसपी कार्यकर्ताओं में नया जोश दिख रहा है। ऐसे में नोएडा रैली को मायावती के राजनीतिक कमबैक की मजबूत कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
लखनऊ रैली के बाद बढ़ा उत्साह
9 अक्टूबर को कांशीराम परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ में हुई रैली में उम्मीद से ज्यादा भीड़ उमड़ी थी। इस भीड़ ने बीएसपी के कमजोर होते जनाधार को लेकर उठ रही चर्चाओं पर रोक लगा दी थी और पार्टी कैडर को नई ऊर्जा दी थी। इसके बाद बीएसपी ने बिहार चुनाव अपने दम पर लड़ा और एक सीट जीतकर यह संदेश दिया कि पार्टी फिर से अपनी पुरानी आक्रामक शैली में लौट रही है। अब इसी उत्साह को आगे बढ़ाते हुए मायावती नोएडा में एक और बड़ी रैली करने की तैयारी में हैं।
नोएडा रैली के राजनीतिक मायने
नोएडा में होने वाली यह रैली सिर्फ शक्ति-प्रदर्शन नहीं, बल्कि 2027 विधानसभा और पंचायत चुनावों से पहले बीएसपी की बड़ी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। इस रैली के जरिए मायावती इन क्षेत्रों में अपना खोया वोट बैंक वापस लाने की कोशिश करेंगी —
• नोएडा
• गाजियाबाद
• मेरठ
• बुलंदशहर
बीएसपी की रणनीति साफ है—दलित वोट बैंक को फिर मजबूत करना, मुस्लिम समुदाय का भरोसा वापस पाना, अति पिछड़ा वर्ग को जोड़ना और बूथ स्तर तक संगठन को दोबारा खड़ा करना। रैली के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी चल रही है और जिलों के कोऑर्डिनेटर्स को अधिकतम भीड़ लाने का लक्ष्य दिया गया है।
विरोधियों को जवाब, कैडर को संदेश
पिछले कुछ समय में विरोधियों द्वारा लगाए गए आरोपों — कि बीएसपी का जनाधार खिसक रहा है और पार्टी बीजेपी के करीब है — का जवाब मायावती इस रैली के मंच से देना चाहती हैं। पार्टी इस रैली को ‘शक्ति प्रदर्शन 2.0’ बता रही है। राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मायावती इसी मंच से मिशन 2027 को और तेज़ करेंगी।
2027 से पहले खोया वर्चस्व हासिल करने की चुनौती
बीएसपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना खोया राजनीतिक वर्चस्व दोबारा पाना है। 2024 लोकसभा चुनाव में बीएसपी का वोट प्रतिशत दहाई तक भी नहीं पहुंच पाया था और पार्टी का एक भी उम्मीदवार लोकसभा नहीं पहुंच सका था। वहीं, चंद्रशेखर आज़ाद ने नगीना सीट जीतकर बीएसपी के परंपरागत दलित वोटों में सेंध लगाई थी। ऐसे में मायावती 6 दिसंबर को एक बड़ी रैली से अपना मजबूत राजनीतिक संदेश देना चाहती हैं।