मेरठ में प्रवासी बस्तियों का बड़ा सर्वे: 6500 संदिग्ध व्यक्ति चिन्हित,
पहचान की जांच शुरू
3 days ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश के मेरठ प्रशासन ने शहर की झुग्गी–झोपड़ी और मलिन बस्तियों में रहने वाले प्रवासी परिवारों पर एक बड़ा सर्वे करवाया है। इस सर्वे में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। प्रशासन को 1600 परिवारों में करीब 6500 संदिग्ध लोग मिले हैं। इनमें से लगभग 3200 व्यक्तियों की पहचान संदिग्ध बताई गई है, जिनकी आईडी देश के कई राज्यों की पुलिस के पास सत्यापन के लिए भेजी गई है। सबसे ज्यादा प्रवासी असम से आने वाले बताए जा रहे हैं। प्रशासन अब सुरक्षा और पहचान की जांच को लेकर जल्द ही डिटेंशन सेंटर की स्थापना की तरफ बढ़ रहा है।
1600 परिवारों में 6500 संदिग्ध लोग एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि चार महीने पहले झुग्गी–झोपड़ी प्रकोष्ठ बनाया गया था। इस टीम ने जिले में 52 स्थान चिह्नित किए, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी अस्थायी झुग्गियों में रहते हैं। कई लोगों के पास पहचान पत्र नहीं मिले, जबकि कुछ पर जानकारी संदिग्ध मिली। ऐसे लोगों को अलग रजिस्टर में दर्ज कर लिया गया है। उनकी गतिविधियों पर अब ड्रोन कैमरों से लगातार नजर रखी जा रही है। प्रशासन के अनुसार, आईडी सत्यापन के बाद यह साफ होगा कि ये लोग वैध नागरिक हैं या कहीं विदेशी तो नहीं।
डिटेंशन सेंटर बनाने की तैयारी तेज गाजियाबाद के नंदग्राम मॉडल पर अब मेरठ में भी डिटेंशन सेंटर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह ने नगर आयुक्त को 500 लोगों की क्षमता वाला सेंटर बनाने के लिए उपयुक्त स्थान खोजने के निर्देश दिए हैं। यहाँ भोजन, स्वास्थ्य सेवाएँ और आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। अधिकारियों का कहना है कि जिले में अभी तक कोई बांग्लादेशी, रोहिंग्या या अफ्रीकी नागरिक नहीं मिला, लेकिन सुरक्षा के मद्देनज़र व्यवस्थाएँ पहले से मजबूत की जा रही हैं।
प्रवासी बस्तियों के सबसे बड़े केंद्र
हापुड़ रोड और लिसाड़ी गेट क्षेत्र को प्रवासी बस्तियों का मुख्य केंद्र माना जाता है। इसके अलावा घोसीपुर, फतेहउल्लापुर, यमुना नगर, आशियाना कॉलोनी और सोफीपुर जैसी जगहों पर असम और बंगाल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। ये लोग अधिकतर कबाड़ बीनने का काम करते हैं।
फर्जी आधार कार्ड का पुराना मामला नवंबर 2022 में हापुड़ रोड स्थित 44वीं पीएसी के पास लगी आग में 400 से ज्यादा झुग्गियाँ जल गई थीं। इसके बाद कई लोगों ने फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनवाए थे। इसी वजह से अब प्रशासन पहचान सत्यापन को लेकर ज्यादा सख्ती बरत रहा है।