मणिपुर दौरे पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले संघ किसी के खिलाफ नहीं,
समाज को जोड़ने के लिए है
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मणिपुर के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने शुक्रवार को इंफाल में जनजातीय नेताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और सामाजिक एकता का संदेश दिया। भागवत ने साफ कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज को मजबूत और समृद्ध करने के लिए काम करता है। मणिपुर में पिछले कुछ समय से सामाजिक तनाव को देखते हुए उनका यह संदेश खास महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि संघ राजनीति नहीं करता और न ही किसी संगठन को रिमोट से नियंत्रित करता है, बल्कि यह केवल प्रेम, मित्रता और सद्भाव के माध्यम से समाज को जोड़ने का काम करता है।
समाज को जोड़ने के लिए संघ की प्रतिबद्धता
मोहन भागवत ने जनजातीय नेताओं से कहा कि आरएसएस समाज को नष्ट करने के लिए नहीं, बल्कि समाज को सुधारने और मजबूत करने के उद्देश्य से बना है। उन्होंने बताया कि संघ का कार्य पूरी तरह से सामाजिक एकता और लोक-कल्याण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि एकता का मतलब एकरूपता नहीं है, बल्कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। हमारी साझा सभ्यतागत चेतना हमें एक साथ जोड़ती है।
संघ का उद्देश्य— व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण
भागवत ने आरएसएस संस्थापक डॉ. के. बी. हेडगेवार को याद करते हुए कहा कि संघ की स्थापना किसी बाहरी ताकत की प्रतिक्रिया में नहीं, बल्कि समाज के अंदर की फूट मिटाने के लिए हुई थी। उन्होंने लोगों से शाखाओं में जाकर संघ का वास्तविक कार्य देखने की अपील की। भागवत ने कहा कि जो भी व्यक्ति भारत की सभ्यता और समाज की बेहतरी के लिए ईमानदारी से काम कर रहा है, वह “अघोषित स्वयंसेवक” है।
जनजातीय मुद्दों पर कहा— समाधान संविधान के भीतर
बैठक में जनजातीय नेताओं ने कई मुद्दे उठाए। भागवत ने कहा कि ये सभी मुद्दे राष्ट्रीय चिंता के विषय हैं और इनका समाधान संवैधानिक ढांचे के भीतर ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिवार के मुद्दे परिवार में बातचीत से ही सुलझते हैं। संवाद समानता और एकता पर आधारित होना चाहिए, न कि सौदेबाजी पर। उन्होंने यह भी बताया कि आज कई क्षेत्रीय विवादों की जड़ें औपनिवेशिक नीतियों में छिपी हैं।
युवाओं से कहा— भारत एक सतत सभ्यता है
युवा नेताओं के साथ बातचीत में भागवत ने कहा कि भारत कोई नया राष्ट्र नहीं, बल्कि एक प्राचीन और लगातार आगे बढ़ती सभ्यता है। उन्होंने युवाओं से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की और बताया कि आरएसएस शाखाओं का उद्देश्य जिम्मेदार, सक्षम और निस्वार्थ नागरिक तैयार करना है।