बाबा विश्वनाथ को चढ़ाया गया पवित्र नदियों का जल, निर्जला एकादशी पर गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़,
हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजा मंदिर
3 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: काशी में आज निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर आस्था और भक्ति की अद्भुत झलक देखने को मिली। भोर से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है जहां स्नान, पूजा और दान-पुण्य का क्रम लगातार जारी रहा। ज्येष्ठ माह में आने वाली निर्जला एकादशी को सबसे कठिन और पुण्यदायी व्रत माना जाता है। इस दिन बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। काशी के विश्वनाथ धाम में आज का दिन विशेष रहा, जहां ऑपरेशन सिंदूर के तहत विशेष अनुष्ठान आयोजित किया गया।
पवित्र नदियों के जल से हुआ बाबा विश्वनाथ का अभिषेक
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि सिंधु, चिनाब, रीवा, मानसरोवर और गंगा जैसी पवित्र नदियों के जल से बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया गया। इस भव्य आयोजन में सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश लेकर राजेंद्र प्रसाद घाट से बाबा के मंदिर तक यात्रा करती दिखीं। यह कलश यात्रा श्रद्धा, संस्कृति और नारी शक्ति का अनुपम संगम बन गई। इस आयोजन में पूर्व मंत्री नीलकंठ तिवारी भी शामिल हुए और उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजन में भाग लिया।
निर्जला एकादशी व्रत से जीवन में आती है सफलता और शांति
निर्जला एकादशी को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इसका व्रत करना समस्त तीर्थों में स्नान के समान पुण्यदायी होता है। आचार्य के अनुसार, यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाता है और हर कार्य में सफलता का आशीर्वाद देता है। महाभारत के समय भीम ने भी इस व्रत को अपनाया था, जिससे इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रती को अन्न और जल दोनों का त्याग करना होता है। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना और यथाशक्ति वस्त्र, छाता, कलश, फल और गुड़ का दान करना विशेष फलदायक माना जाता है। द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत पूर्ण होता है। काशी में आज का दिन सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रमाण बन गया।