नीतीश कटारा केस के दोषी सुखदेव यादव की सड़क हादसे में मौत,
जेल से लौटे 4 महीने भी नहीं हुए थे पूरे
2 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तरुवनवा गांव में बुधवार को मातम छा गया। गांव के 55 वर्षीय सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सड़क हादसे में मौत की खबर ने सभी को स्तब्ध कर दिया। सुखदेव वही शख्स थे, जिन्हें देशभर में चर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में 20 साल जेल की सजा हुई थी। चार महीने पहले ही वे रिहा होकर अपने गांव लौटे थे। गांव लौटने के बाद उन्होंने अखाड़े में बच्चों को कुश्ती सिखाने और खेती करने का मन बनाया था, लेकिन किस्मत ने उन्हें दूसरी ही दिशा में मोड़ दिया।
हादसा जिसने सब कुछ खत्म कर दिया मंगलवार रात करीब 10 बजे का समय था। सुखदेव अपने दो दोस्तों विजय गुप्ता और भागवत सिंह के साथ बाइक से किसी रिश्तेदार के घर से लौट रहे थे। कुशीनगर के फाजिलनगर कस्बे के पास बघौचघाट मोड़ पर सामने से आ रही तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक के परखच्चे उड़ गए और तीनों सड़क पर गिर पड़े। राहगीरों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, लेकिन तब तक सुखदेव की मौत हो चुकी थी। उनके दोनों साथी गंभीर रूप से घायल हुए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। हादसे के बाद स्कॉर्पियो चालक मौके से फरार हो गया।
गांव में पसरा मातम तरुवनवा गांव में सुखदेव को पहलवान नाम से जाना जाता था। बचपन से ही उन्हें कुश्ती का शौक था और वे अपने अखाड़े में कई पहलवानों को पटखनी दे चुके थे। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सुखदेव के पिता विश्वनाथ यादव भी नामी पहलवान थे। लेकिन जवानी में गलत संगत के कारण सुखदेव का रास्ता बदल गया और वह गाजियाबाद चला गया, जहां उसकी जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया जिसने उसे 20 साल जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
नीतीश कटारा हत्याकांड से जुड़ा था नाम 16-17 फरवरी 2002 की रात हुए नीतीश कटारा हत्याकांड में सुखदेव यादव तीसरा आरोपी था। उस वक्त पूर्व मंत्री डीपी यादव के बेटे विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव ने नीतीश का अपहरण और हत्या की थी। आरोप था कि दोनों अपनी बहन भारती यादव और नीतीश के रिश्ते से नाराज थे। इस मामले में अदालत ने विकास, विशाल और सुखदेव तीनों को दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में फैसला सुनाते हुए विकास और विशाल को 25 साल और सुखदेव को 20 साल की सजा दी थी।
जेल से लौटकर कहा था – अब चैन से जीना है परिवार वालों के मुताबिक, रिहाई के बाद सुखदेव ने कहा था कि अब बस गांव में रहकर खेती करनी है और बच्चों को अखाड़े में कुश्ती सिखानी है। लेकिन नियति ने उसे इसका मौका नहीं दिया। 20 साल जेल में बिताने के बाद मिली आजादी का सुख वह कुछ महीनों से ज्यादा नहीं जी सका। उनकी मौत से गांव में शोक की लहर है और लोग अब भी यकीन नहीं कर पा रहे कि पहलवान अब नहीं रहा।