राजभर ने खोला अब्बास अंसारी के समर्थन का मोर्चा, NDA में मची खलबली,
सपा-कांग्रेस ने इतिहास को दबाया, अब लाएंगे सुहेलदेव की पहचान
7 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Om Prakash Rajbhar: लखनऊ में सोमवार को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी सरकार के मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा बयान देकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी। उन्होंने कहा कि वे मऊ के विधायक अब्बास अंसारी के साथ खड़े हैं और अगर वह कोर्ट जाते हैं तो उन्हें पूरा समर्थन देंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि अब्बास ने सुभासपा के सिंबल पर चुनाव लड़ा था, इसलिए अगर मऊ सीट पर उपचुनाव होता है, तो वही सीट सुभासपा के हिस्से में आएगी और पार्टी वहीं से अपना उम्मीदवार उतारेगी।
राजभर ने अब्बास का खुलकर किया समर्थन
दरअसल, अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में मऊ कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद रविवार को ही विधानसभा सचिवालय खोलकर मऊ सीट को खाली घोषित कर दिया गया और चुनाव आयोग को उपचुनाव के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए राजभर ने अब्बास का खुलकर साथ देने की बात कही। राजभर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि सुभासपा 10 जून को बहराइच में सालार गाजी मेले की जगह अब सुहेलदेव शौर्य दिवस मनाएगी, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे। राजभर ने दावा किया कि सुहेलदेव ने विदेशी आक्रांता गाजी मियां को हराकर मार गिराया था और यह ऐतिहासिक तथ्य है, जिसे सपा और कांग्रेस की सरकारों ने हमेशा छिपाया।
राजभर ने रखी चुनावी व्यवस्था बदलने की मांग
उन्होंने यूपी में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता से कराने का प्रस्ताव भी सामने रखा। उनका कहना था कि इस व्यवस्था से धनबल और बाहुबल का असर खत्म होगा। उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव को लेकर वे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं और अब यह प्रस्ताव दिल्ली भेजा जा रहा है।
राजभर का अखिलेश पर कसा तंज
अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए राजभर ने कहा कि न नौ मन गेहूं होई, न राधा गवने जईहे, यानी अखिलेश सिर्फ बातें कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस काम नहीं कर पाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा दलितों के साथ दिखावे की राजनीति कर रही है।
राजभर ने मायावती और कांग्रेस की नीतियों पर उठाए सवाल
राजभर ने मायावती और कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि इन दलों ने ऐतिहासिक महापुरुषों को हमेशा नजरअंदाज किया गया। उन्होंने सुहेलदेव, अंबेडकर और अहिल्याबाई होल्कर की चर्चा करते हुए कहा कि ये लोग देश के लिए लड़े लेकिन इनकी विरासत को दबाया गया।
राजभर के रुख से सियासत में हलचल
राजभर के बयानों से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वह फिर से एनडीए से दूरी बना सकते हैं? क्योंकि इससे पहले भी वे 2019 में एनडीए से अलग होकर सपा के साथ गए थे और 2022 में साथ चुनाव लड़ा था। फिर 2023 में उन्होंने BJP से गठबंधन कर लिया था और एक बार फिर योगी सरकार में मंत्री बने। वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अब्बास अंसारी का समर्थन और मऊ सीट को लेकर राजभर का रुख एक नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है या फिर यह NDA पर दबाव बनाने की चाल भी हो सकती है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में राजभर किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।