रामनगरी अयोध्या में PM मोदी का आगमन,
मंदिर पूर्णता के भव्य पल के बने गवाह
1 months ago Written By: Aniket Prajapati
अयोध्या आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पल का साक्षी बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को रामलला मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना की। यह दौरा सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि 500 साल के लंबे संघर्ष, आस्था और संकल्प के पूरे होने का प्रतीक भी माना जा रहा है। पीएम मोदी राम मंदिर के शिखर पर ध्वजा स्थापित करेंगे, जो मंदिर निर्माण की पूर्णता का संदेश देगा। यह क्षण न सिर्फ अयोध्या के लिए बल्कि पूरे देश के करोड़ों राम भक्तों के लिए एक गर्व का विषय बन गया है।
राम मंदिर आंदोलन से शुरू हुई मोदी की यात्रा राम मंदिर आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका 80 के दशक से शुरू होती है। उस समय वह आरएसएस के प्रचारक के रूप में सक्रिय थे और राम मंदिर निर्माण के संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए कई बैठकों और अभियानों में हिस्सा लेते थे। 1987 से 1989 तक मंदिर आंदोलन को तेज करने में उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। वर्ष 1990 में जब लालकृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा निकाली, तब नरेंद्र मोदी मुख्य प्रबंधक और रूट समन्वयक के रूप में पूरे अभियान में जुड़े रहे।
सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद बदली अयोध्या की तस्वीर साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नरेंद्र मोदी ने अयोध्या को उसकी आध्यात्मिक गरिमा के अनुसार विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को उन्होंने भूमि पूजन किया और 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा करवाई, जिससे राम भक्तों के 500 वर्षों के लंबे संघर्ष को विराम मिला।
अब ध्वजारोहण के साथ मंदिर पूर्णता का संदेश 25 नवंबर को पीएम मोदी राम मंदिर के शिखर पर ध्वजा फहराने पहुंचे। यह ध्वजा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि मंदिर आंदोलन से लेकर मंदिर पूर्णता तक की पूरी यात्रा का प्रतीक है। बनारस के वैदिक विद्वान गजानन जोतकर ने भी कहा कि राम मंदिर आंदोलन और मंदिर निर्माण की पूर्णता में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका अग्रिम और बेहद महत्वपूर्ण रही है। आज का यह दिन राम मंदिर के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।