38 साल जेल में सड़ता रहा मासूम… अब कोर्ट ने कहा- बेगुनाह,
जानें राजबहादुर की रोंगटे खड़े करने वाली कहानी
6 days ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे राजबहादुर सिंह को 38 साल बाद बरी कर दिया है। 41 साल पहले उन्नाव में दर्ज एक हत्या और आगजनी के मामले में सत्र अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के बाद राजबहादुर ने 1984 में हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन मुकदमे की धीमी प्रक्रिया और लंबी सुनवाई के कारण वर्षों तक वे जेल में ही बंद रहे। अब हाई कोर्ट के आदेश से उनका दोषमुक्त होना न सिर्फ उनके लिए राहत है, बल्कि न्याय व्यवस्था में देरी की एक दर्दनाक हकीकत भी सामने लाता है।
41 साल पुराना मामला, उम्रकैद की सजा उन्नाव के अजगैन थाना क्षेत्र में 41 साल पहले एक हत्या और आग लगाने का मामला सामने आया था। इस घटना में पुलिस ने राजबहादुर सिंह सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया। जांच के बाद उन्हें सेशन कोर्ट में पेश किया गया, जहां 19 जनवरी 1984 को अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी। राजबहादुर लगातार कहते रहे कि उन्हें फंसाया गया है, लेकिन उनकी बात उस समय किसी ने नहीं सुनी।
1984 में हाई कोर्ट में दाखिल की थी अपील सजा मिलने के बाद राजबहादुर ने उसी साल इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील दाखिल की थी। कई दशक बीत गए, सुनवाई लंबे समय तक लटकी रही और इस दौरान वे जेल में ही कैद रहे। आखिरकार जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव-प्रथम की बेंच ने राजबहादुर की अपील पर फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया।
सजा खत्म, तुरंत रिहाई का आदेश हाई कोर्ट ने माना कि हत्या के आरोप सिद्ध नहीं होते। इसलिए उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी गई और रिहाई का आदेश जारी कर दिया गया। राजबहादुर, जो अब एकमात्र जीवित अपीलकर्ता थे, 38 साल बाद जेल से बाहर आने पर भावुक हो उठे। उन्होंने कोर्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि वर्षों बाद उन्हें असली न्याय मिला है।