राजवीर जवंदा की मौत से उठे सवाल:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – सड़क हादसे बन चुके हैं ‘राष्ट्रीय आपातकाल’
15 days ago Written By: अनिकेत प्रजापति
पंजाबी सिंगर और एक्टर राजवीर जवंदा का 8 अक्टूबर को देहांत हो गया। वह 27 सितंबर को चंडीगढ़ से हिमाचल जाते वक्त सड़क हादसे का शिकार हुए थे। गंभीर चोटों के बाद मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां 12 दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। जवंदा का जाना सिर्फ एक कलाकार की मौत नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की याद दिलाता है जो हर साल सड़कों पर अपनी जान गंवाते हैं।
हर साल 1.7 लाख लोगों की मौत नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, साल 2023 में 1.72 लाख से ज्यादा लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी। बढ़ती इन घटनाओं पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सड़क हादसों को ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ करार दिया। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे इस संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं और सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
पैदल यात्रियों की सुरक्षा पर सख्त आदेश साल 2012 में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि सड़कों पर पैदल यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। अदालत ने केंद्र और राज्यों को फुटपाथों, पैदल क्रॉसिंग, सबवे और फुटओवरब्रिज का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, भीड़-भाड़ वाले और हादसे वाले इलाकों में बेहतर निगरानी, सीसीटीवी, पैनिक बटन और साफ-सुथरे रास्तों की व्यवस्था पर भी जोर दिया गया।
हेलमेट और ट्रैफिक कानूनों पर सख्ती सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि चालक और पीछे बैठने वाले दोनों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाए। अदालत ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 और 194(D) का सख्ती से पालन हो। कोर्ट ने 6 महीने के भीतर पैदल यात्रियों और गैर-मशीनी वाहनों के लिए नए नियम बनाकर अधिसूचित करने को कहा है, ताकि सड़क सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
77 हजार पैदल और दोपहिया सवारों की मौतें एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में 77,455 दोपहिया वाहन चालकों की मौत हुई, जिनमें से करीब 70% ने हेलमेट नहीं पहना था। वहीं 35,000 से ज्यादा पैदल यात्री सड़क हादसों में मारे गए। कोर्ट ने कहा कि फुटपाथों पर अतिक्रमण और खराब संकेतकों के कारण लोग मजबूरी में सड़क पर चलने को विवश होते हैं। न्यायालय ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए इसे ‘मानव जीवन पर सीधा खतरा’ बताया।
अगर आदेशों का पालन हुआ, तो बचेगी हजारों जानें सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकारें इन आदेशों को सही तरीके से लागू करती हैं, तो आने वाले वर्षों में हजारों जानें बचाई जा सकती हैं। अदालत ने दिल्ली की मथुरा रोड और नेशनल जूलॉजिकल गार्डन के बीच नई सड़क क्रॉसिंग को सात महीने के भीतर पूरा करने का भी निर्देश दिया। राजवीर जवंदा जैसे कई लोगों की असमय मौत अब चेतावनी है — जब तक सड़क सुरक्षा को लेकर सिस्टम और समाज गंभीर नहीं होंगे, तब तक ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ जैसी स्थिति बनी रहेगी।