अयोध्या में रामलला 10 करोड़ के सोने के झूले पर झूलेंगे,
हीरे-माणिक से जड़ा झूला अयोध्या पहुंचने को तैयार
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Ayodhya Temple: अयोध्या में इस बार सावन का झूला उत्सव ऐतिहासिक और बेहद भव्य होने जा रहा है। रामलला पहली बार पूरी तरह सोने के बने झूले पर विराजमान होंगे। यह झूला मुंबई के कारीगरों द्वारा बनाया जा रहा है, जिसमें 5-5 किलो के दो झूले शामिल हैं। इन झूलों की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इन पर हीरे, माणिक और पन्ना जैसे बहुमूल्य रत्न भी जड़े जा रहे हैं। रामलला का यह दिव्य झूला 26 जुलाई से पहले अयोध्या पहुंच जाएगा और 29 जुलाई को भगवान राम इस पर विराजेंगे।
अयोध्या में शुरू होगा 12 दिन का झूला उत्सव
एक झूला ग्राउंड फ्लोर पर विराजे रामलला के लिए है, जबकि दूसरा फर्स्ट फ्लोर पर विराजे राजा राम और माता सीता के लिए तैयार किया जा रहा है। यह पहला अवसर होगा जब झूला उत्सव में रामलला सोने के झूले पर झूलेंगे। उत्सव के दौरान भजन-कीर्तन होंगे और रामलला को 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। भक्तों की श्रद्धा और उत्साह को देखते हुए इस पूरे कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर भी किया जाएगा। अनुमान है कि इस 12 दिन के उत्सव में 15 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंचेंगे।
राम मंदिर में 4.5 लाख VIP श्रद्धालु भी पहुंचे
राम मंदिर के ट्रस्ट के अनुसार, 22 जनवरी 2024 से अब तक 5.5 करोड़ भक्त रामलला के दर्शन कर चुके हैं, जिनमें से 4.5 लाख VIP भी शामिल हैं। वहीं, राजा राम के दरबार में प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला झूला उत्सव होगा। मंदिर के पहले फ्लोर पर 5 जून 2025 को राजा राम और माता सीता विराजमान हुए थे।
एक व्यापारी ने गुप्त रूप से किया 175 किलो सोने का दान
सिद्ध पीठ हनुमत निवास के आचार्य डॉ. मिथिलेश नंदिनी शरण का कहना है कि झूले को त्रेतायुग के वैभव को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। रामलला के सौंदर्य और कांति को ध्यान में रखकर ही स्वर्ण झूले का निर्माण हो रहा है। राम मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव ने बताया कि एक व्यापारी ने गुप्त रूप से 175 किलो सोना दान किया है, जिससे मंदिर के कलश और दरवाजे मढ़े जा रहे हैं। अप्रैल 2022 में भी 21 किलो का चांदी का झूला भेंट किया गया था।
झूला उत्सव में 1,000 मंदिरों की होगी भागीदारी
अयोध्या में सावन के शुक्ल पक्ष से पूर्णिमा तक 12 दिन तक झूला उत्सव मनाया जाएगा, जिसमें करीब 1,000 मंदिर हिस्सा लेंगे। श्रद्धालु रामलला का टेंट, 1949 का सिंहासन और वैकल्पिक गर्भगृह भी देख सकेंगे, जिन्हें विशेष रूप से सुरक्षित रखा गया है।